Uttarakhand, प्राचीन काल से ही धार्मिक एवं आध्यात्मिक आकर्षण का केंद्र रहा है। इस राज्य में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, उनमें से एक बागेश्वर का बैजनाथ मंदिर है। बैजनाथ मंदिर बागेश्वर जनपद में गोमती नदी के किनारे स्थित है।
भारत की स्विजरलैंड कहे जाने वाले Kausani से यह मंदिर 17 किलोमीटर की दूरी पर है। Kausani आने वाले सभी पर्यटक इस मंदिर में दर्शन करने जरूर करते हैं। समुद्र तल से इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 1130 किलोमीटर है।
Baijnath Temple kaise jaye?
बैजनाथ मंदिर जाने के लिए निम्न तरीके हैं:
- सड़क मार्ग से (By Road) –
- देहरादून से निकलकर ऋषिकेश जाएं। यह दूरी लगभग 230 किमी है।
- ऋषिकेश से आगे बढ़कर देवप्रयाग तक जाएं। यह दूरी लगभग 70 किमी की है।
- देवप्रयाग से करीब 65 किमी पर बैजनाथ स्थित है। देवप्रयाग से बैजनाथ के लिए सीधा रास्ता मिल जाएगा।
- देहरादून से बैजनाथ तक कुल दूरी लगभग 365 किलोमीटर है।
- रास्ते में आराम और खाना खाने के लिए ऋषिकेश, देवप्रयाग और कर्णप्रयाग में रुक सकते हैं।
- सफर के दौरान नेशनल हाइवे 58 और 107 का इस्तेमाल करना होगा।
- रेल मार्ग से (By Train) –
- देहरादून या हरिद्वार रेलवे स्टेशन से काठगोदाम के लिए ट्रेन पकड़ें।
- काठगोदाम नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो कि बैजनाथ से 12 किमी दूर है।
- काठगोदाम से बैजनाथ के लिए नियमित बस या टैक्सी सेवा उपलब्ध है।
- टैक्सी लेने पर काठगोदाम से बैजनाथ तक का सफर 30 मिनट में पूरा हो जाता है।
- देहरादून से काठगोदाम के लिए नंदा देवी एक्सप्रेस, उत्तरांचल एक्सप्रेस और मसूरी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें हैं।
- हरिद्वार से भी काठगोदाम के लिए नियमित ट्रेन सेवा है।
- हवाई मार्ग से (By Air) –
- देहरादून या पंतनगर हवाई अड्डे से बैजनाथ जाने के लिए फ्लाइट बुक करें।
- देहरादून से बैजनाथ की दूरी लगभग 320 किलोमीटर है।
- पंतनगर हवाई अड्डा बैजनाथ से सबसे नज़दीक है, लगभग 65 किलोमीटर।
- पंतनगर से टैक्सी या किराए की कार लेकर आसानी से बैजनाथ पहुंचा जा सकता है।
- देहरादून से भी कार/टैक्सी लेकर बैजनाथ जाया जा सकता है।
- फ्लाइट टिकट बुक करते समय बैजनाथ तक पहुंचने का प्रबंध रखें।
- बैजनाथ में ठहरने के लिए होटल भी पहले से बुक कर लेना बेहतर होगा।
Baijnath mandir में आवास
उत्तराखंड के बैजनाथ मंदिर में रहने के लिए आपके पास कई विकल्प उपलब्ध हैं:
- Baijnath में ही कई Budget Friendly, Hotel और resorts हैं जैसे – गंगा रिसोर्ट, नंदा देवी टूरिस्ट रिसोर्ट, भोला नाथ रिसोर्ट आदि।
- Baijnath से करीब 12 किमी दूर काठगोदाम में भी कई Hotels और लॉज उपलब्ध हैं।
- देवप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जैसे नजदीकी शहरों में भी रहने की अच्छी सुविधाएं हैं।
- Baijnath में धर्मशालाओं में रहने का भी विकल्प है जो कि सस्ता और शांतिदायक होता है।
- Baijnath के आस-पास होमस्टे और Camping की भी सुविधा उपलब्ध है।
मंदिर की दूरी Delhi से 442 किलोमीटर और Dehradun से 303 किलोमीटर है। पंतनगर यहां का निकटतम हवाई अड्डा और काठगोदाम निकटतम रेलवे स्टेशन है। मंदिर के समीप ही एक कृत्रिम झील का उद्घाटन 14 जनवरी 2016 को हुआ था। इस झील का नाम गोल्डन महासीर है।
इस झील में बहुत सी प्रजाति की मछलियां है। मछली पकड़ने पर सख्ती से प्रतिबंध है। यह झील बेहद ही सुंदर और पहाड़ों के बीच बसी हुई है।
Places near Bajnath Temple
Baijnath (बैजनाथ) के आसपास कई दर्शनीय स्थल है। यहां से 2-3 किलोमीटर की दूरी पर कोर्ट भ्रामरी माता का मंदिर स्थित है। बैजनाथ मंदिर अपनी प्राचीन मंदिर समूह के लिए विख्यात है जिन्हें भारतीय पुरातत्व संरक्षण द्वारा राष्ट्रीय महत्व स्मारक के रूप में मान्यता प्राप्त है।
बैजनाथ मंदिर के पास के दर्शनीय स्थल इस प्रकार हैं:
- Guptkashi (गुप्तकाशी) – यह बैजनाथ से 5 किमी दूर स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है।
- Vaishao Devi (वैष्णो देवी मंदिर) – यह मंदिर बैजनाथ से 12 किमी दूर है। यहाँ माँ वैष्णो देवी को समर्पित एक खूबसूरत मंदिर है।
- Rishikesh (ऋषिकेश) – यह हिंदू तीर्थस्थल गंगा नदी के किनारे स्थित है, बैजनाथ से लगभग 70 किमी दूर।
- Devprayag (देवप्रयाग) – यह जगह अलकनंदा और भागीरथी नदियों के संगम पर स्थित है। बैजनाथ से 65 किमी दूर।
- Chandikot (चांदीकोट) – यह बैजनाथ से 32 किमी दूर स्थित एक किला है। यहाँ से हिमालय का नज़ारा बहुत खूबसूरत लगता है।
- Kathgodam (काठगोदाम) – यह नगर बैजनाथ से 12 किमी दूर स्थित है और यहाँ कई दर्शनीय स्थल हैं।
Baijnath (बैजनाथ) को भारत सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत कुमाऊं में ‘शिव हेरिटेज सर्किट’ से जुड़ने वाले चार स्थानों में से एक के रूप में चुना गया है।
यह मंदिर मुख्य रोड से कुछ दूरी पर स्थित है यह मंदिर कई छोटे-बड़े मंदिरों का समूह है। मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 1 दिन में हुआ था। तकरीबन 9 लाख लोगों ने मिलकर एक ही दिन में इस मंदिर का निर्माण किया था।
History Of Baijnath Temple
यह मंदिर कत्यूरी शासनकाल में बनाया गया था। अगर बात करें इस मंदिर की तुम मंदिर की दीवारों पर तराशे गए पत्थर अलग-अलग आकार के है और एक के ऊपर एक विशेष रूप से रखे गए हैं। इसमें कई मंदिरों में नक्काशी भी देखने को मिल जाएगी।
मंदिर अपने निर्माण के 1100, 1200 वर्षों साल बाद भी मजबूती से खड़े बदलते वक्त और आधुनिकता को सदियों की पुरानी सभ्यता और विरासत से मिला रहे हैं। मंदिर के फर्श में बिछे चपटे पत्थर मौजूद है। कत्यूरी राजवंश उत्तर भारत का एक महत्वपूर्ण मध्ययुगीन राजवंश है जिसका कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र में 6वीं और 12वीं तक शासन था उनकी पहली राजधानी जोशीमठ थी , दूसरी राजधानी बैजनाथ ही। बैजनाथ को प्राचीनकाल में “कार्तिकेयपुर” के नाम से जाना जाता था, और तब यह कत्यूरी राजवंश के शासकों की राजधानी थी।
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है यहां महाशिवरात्रि के दिन हजारों पर्यटक आते हैं मुख्य मंदिर में काले पत्थर से गढ़ी माता पार्वती की एक सुंदर मूर्ति है हिंदू पौराणिक कथाओं की माने तो भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह गोमती और गरुड़ गंगा नदी के संगम पर हुआ था इस मंदिर में भगवान शिव गणेश पार्वती चंडिका कुबेर सूर्य और ब्रह्मा इत्यादि की मूर्तियां भी स्थित है।
यहां आने वाले सभी यात्री Kausani में रुकते हैं। अगर आप यहां आ रहे हैं तो आप यहां से 21 किलोमीटर दूर बागेश्वर भी घूमने जा सकते हैं। बैजनाथ में पूरे वर्ष मौसम सुहावना रहता है। लेकिन बैजनाथ मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय गर्मियों का मौसम ( अप्रैल-जून ) बैजनाथ की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय है। लेकिन अगर आप सर्दियों ( अक्टूबर-मार्च ) में यात्रा करते हैं तो आप बर्फबारी का आनंद ले सकते हैं।