Surkanda devi temple | इच्छा पूर्ति मन्दिर

Surkanda Devi Mandir

Surkanda शब्द Sanskrit word Shreekantha से आया है, जिसका मतलब The Neck of the Goddess है। Surkanda Devi को Sureshwari or Surkanda suri भी कहा जाता है।

Surkanda devi temple सूरकुट पर्वत पर स्थित है। यह सूरकुट पर्वत Uttarakhand के Tehri Garhwal जनपद के अंतर्गत, Chamba – Mussoorie मोटर मार्ग पर स्थित कद्दूखाल (Kaddukhal) नामक कस्बे में स्थित है।  यह मंदिर Chamba से 24 kms की दुरी पर तथा Mussoorie से 40 kms की दुरी पर स्थित है।

सूरकुट पर्वत बहुत ही आकर्षित है। केदारखंड व स्कंद पुराण में इसका उल्लेख देखने को मिलता है। इस पर्वत की चोटी से पूर्वोत्तर की नजर फहराने पर बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, और यमुनोत्री के हिमशिखर के दर्शन होते हैं। दक्षिण में Dehradun के अलावा कई और मैदानी क्षेत्र दिखाई देते हैं।

हिम शिखरों के अलावा यहां पर ऊंचे हरे-भरे पहाड़ भी देखने को मिलते हैं। यह पर्वत लगभग 9995 यानी 2775 मीटर ऊंचा है। यहां November से February तक होने वाली बर्फबारी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रहती है।

Surkanda Devi Story

Surkanda Devi Mandir

पुराणों के अनुसार सतयुग में ब्रह्मा के मानस पुत्रों में से एक प्रजापति दक्ष द्वारा एक यज्ञ का आयोजन किया गया था, उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु समेत सभी देवताओं वह ऋषि-मुनियों को भी आमंत्रित किया गया था। किंतु भगवान शंकर को उस यज्ञ में आने का निमंत्रण नहीं दिया गया क्योंकि उस यज्ञ के आयोजन का उद्देश्य ही भगवान शंकर की गरिमा को ठेस पहुंचाना व उन्हें अपमानित करना था।

राजा दक्ष की पुत्री सती ने अपने पिता के विरुद्ध जाकर भगवान शंकर की तपस्या की थी वह भगवान शंकर को अपने पति के रूप में स्वीकार करना चाहती थी। उनकी तपस्या सफल हुई और भगवान शंकर से उनका प्रेम विवाह हुआ। यह सृष्टि का पहला प्रेम विवाह माना जाता है। इस घटना से दक्ष के हृदय में भगवान शंकर के प्रति नफरत और बढ़ गई।

इस यज्ञ में महर्षि दधीचि भी उपस्थित थे जब उन्होंने दक्ष से भगवान शंकर की अनुपस्थिति के बारे में पूछा तो महाराजा दक्ष ने भगवान शंकर के लिए बेहद ही अपमानजनक शब्दों का उपयोग किया महर्षि दधीचि भी दक्ष को समझाने में असफल रहे और यज्ञ स्थल को छोड़कर चले गए। वही कैलाश में भगवान शिव और माता सती को कनखल में आयोजित यज्ञ के बारे में पता चला तो माता सती ने भगवान शिव से यज्ञ में चलने का आग्रह किया परंतु शिव ने यह कहकर मना कर दिया कि बिना निमंत्रण के वे वहां नहीं जा सकते। माता सती ने कहा कि वह तो अपना ही घर है वहां निमंत्रण की क्या आवश्यकता। जिस कारण भगवान शिव ने माता सती, नंदी व कुछ गणों को कनखल जाने की आज्ञा दे देते हैं।

माता सती ने यज्ञ में जाकर महाराजा दक्ष को समझाने का बहुत प्रयत्न किया परंतु उन्होंने भगवान शिव के प्रति कई अपमानजनक बातें कहीं। जिसे देवी सती सहन नहीं कर पाई और अपने शरीर से ज्वाला उत्पन्न करके अपने देह का त्याग कर दिया। नंदी व गढ़ मिलकर कैलाश गए उन्होंने भगवान शिव को यह सारी बात बताई।

महादेव अत्यंत क्रोधित हुए और उनके शरीर के तेज से वीरभद्र उत्पन्न हुए। वीरभद्र ने भगवान शिव की आज्ञा से कनखल में जाकर महाराजा दक्ष का सिर काटकर यज्ञ की ज्वाला में डालकर यज्ञ को तहस-नहस कर दिया। जब भगवान शंकर कनखल पहुंचे तो उन्होंने सती के वियोग में उनके शरीर को उठाया और ब्रह्मांड में इधर-उधर भटकने लगे।

सभी देवी देवता भगवान विष्णु के पास गए। भगवान श्री हरि विष्णु ने सृष्टि के विनाश की संभावना को देखते हुए उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के मृत शरीर को 51 टुकड़ों में विभाजित किया। और जिस जिस जगह में माता सती के शरीर का अंग गिरा वही वही शक्ति पीठ बने।

Surkanda Devi Mandir

सूरकुट पर्वत पर माता सती का सिर गिरा था, जिससे इस पर्वत पर Surkanda devi की उत्पत्ति हुई और इस स्थान को तबसे Surkanda devi शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि माता Surkanda devi का मायका Chamba के जड़धार गांव में स्थित है। और यही लोग मंदिर की पूरी व्यवस्था करते हैं एवं विभिन्न अवसरों पर माता की पूजा अर्चना किया करते हैं इस मंदिर में देवी काली की मूर्ति स्थापित है। गंगा दशहरा व नवरात्रों में माता के द्वार आने वाले सभी भक्तों की झोली भर जाती है।

Location Of Surkanda Devi Temple

Surkanda Devi Trek

Surkanda Devi Mandir

जब हम सुरकंडा देवी मंदिर जाते हैं तो हमें मंदिर तक पहुंचने के लिए पहले धनोल्टी जाना होगा तथा उसके बाद धनोल्टी 6 किलोमीटर की दूरी ट्रक करके कर सकते हैं

Surkanda devi temple, Dhanulti से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। Dehradun से यह लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां जाने के लिए आपको पहले कद्दूखाल (Kaddukhal), Chamba जाना होगा, फिर वहां से लगभग 2.5 kms चढ़ाई के बाद आप माता Surkanda devi के मंदिर पहुंच जाएंगे।

Surkanda Devi Mandir

माता के इस मंदिर के अंदर 2 काले रंग की माता की मूर्ति विराजित है। जिनमे से एक Mahashakti Durga की है, और वही दूसरी एक बड़ी मूर्ति जो की दो माताओं की, माता Sati और माता Surkanda की एक साथ है।

Conclusion

इस blog के माध्यम से हमने Uttarakhand के प्रसिद्ध मंदिर सुरकंडा देवी मंदिर के बारे में जाना और सुरकंडा देवी मंदिर के इतिहास पर भी विस्तार से चर्चा की।

आप सुरकंडा देवी मंदिर किस प्रकार जा सकते हैं तथा सुरकंडा देवी मंदिर जाने के लिए आपको कहां कहां जाना होगा इसके बारे में भी हमने देखा।

हमने यहां सुरकंडा देवी मंदिर के गर्भ ग्रह है तथा सुरकंडा देवी मंदिर के बारे में बताया और सुरकंडा देवी मंदिर की मान्यताओं को जाना।

FAQs (Surkanda Devi Mandir)

Where is Surkanda Devi Mandir located?

Surkanda devi temple सूरकुट पर्वत पर स्थित है। यह सूरकुट पर्वत Uttarakhand के Tehri Garhwal जनपद के अंतर्गत, Chamba – Mussoorie मोटर मार्ग पर स्थित कद्दूखाल (Kaddukhal) नामक कस्बे में स्थित है।

Is there any trekking involved to reach the temple?

Yes, यहां जाने के लिए आपको पहले कद्दूखाल (Kaddukhal), Chamba जाना होगा, फिर वहां से लगभग 2.5 kms चढ़ाई के बाद आप माता Surkanda devi के मंदिर पहुंच जाएंगे।

Are there any festivals celebrated at Surkanda Devi Mandir?

Yes, Surkanda Devi Mandir में Ganga Dussehra बड़े हे धूम धाम से मनाया जाता हैं। Ganga Dussehra festival, हर साल May और June के महीने में मनाया जाता हैं।

Is there an entry fee for Surkanda Devi Mandir?

No, Surkanda Devi Mandir में जाने के लिए कोई भी Entry Fee नहीं लगती। यहाँ जाना एकदम Free हैं।

Is there any Hotels & Restaurant available near Surkanda Devi Mandir?

Surkanda Devi Mandir के पास बहुत से Hotels, Restaurant, Dharamshala मौजूद है। आप चाहे तो Dhanulti में भी Hotels वगैरा ले सकते है, Dhanulti, मंदिर से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

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