हम यहां पर उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम (Yamunotri Dham) के बारे में जानेंगे जो उत्तराखंड के चार धामों में से प्रथम तथा लोकप्रिय धाम है।
उत्तराखंड में बहुत से देवी-देवताओं के मंदिर है लेकिन Yamunotri Dham की प्रसिद्धि तथा लोकप्रियता अलग ही प्रतीत होती है। जब भी उत्तराखंड के चार धामों की यात्रा करने की बात आती है, तो सबसे पहले यमुनोत्री धाम की यात्रा की जाती है।
यमुनोत्री धाम की यात्रा के बाद ही क्रमशः गंगोत्री धाम, केदारनाथ धाम, तथा बद्रीनाथ धाम की यात्रा करने पर ही चार धाम की यात्रा सफल मानी जाती है।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित Yamunotri Dham यमुना जी के उद्गम के रूप में जाना जाता है तथा कहा जाता है कि यमुना जी के जल को पीने वाला हर व्यक्ति अपने शारीरिक रोगों से मुक्त हो जाता है।
Yamunotri Dham का इतिहास बहुत ही प्रसिद्ध तथा रोचक है इसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए आप एक बार यमुनोत्री धाम के बारे में जानने के बाद यमुनोत्री धाम जरूर जाना चाहेंगे।
यमुनोत्री धाम का इतिहास (Yamunotri Dham History)
यमुनोत्री धाम उत्तराखंड में स्थित चार धामों में से एक धाम है यह धाम उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित है उत्तराखंड के चार धाम यात्रा में पहला धाम यमुनोत्री को माना जाता है इसके बाद क्रमशः गंगोत्री, केदारनाथ, और फिर बद्रीनाथ की यात्रा की जाती है।
यमुनोत्री धाम को महाभारत युग के अनुसार पांडवों से जोड़कर भी देखा जाता है, कहा जाता है कि पांडवों ने चार धाम की यात्रा यमुनोत्री से शुरू की फिर वह गंगोत्री केदारनाथ तथा बद्रीनाथ के बाद स्वर्ग प्रस्थान कर गए।
यमुनोत्री धाम की उत्पत्ति
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्य देव की दो पत्नियां संध्या में छाया थी, जिन्होंने यमुना, यमराज व शनिदेव को जन्म दिया।
इस तरह यमुना जी भगवान सूर्य देव की पुत्री तथा यमराज एवं शनि देव की बहन है, कहा जाता है कि अपने भाई यमराज को छाया दोष से मुक्ति दिलाने के लिए घोर तपस्या की, यमराज छाया दोष् से मुक्त हुए।
तब अपनी बहन प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहा, तो यमुना जी ने वरदान में मांगा कि वह उनके जल को इतना स्वच्छ और निर्मल कर दे इस जल को पीने वाला कोई भी व्यक्ति शारीरिक लोगों से मुक्त हो जाए, तब सभी देवताओं ने वरदान दिया कि कोई भी व्यक्ति इस जल को पीने से शारीरिक कष्ट से मुक्त हो जाएगा और साथ ही उन्होंने यह भी वरदान दिया कि जो कोई व्यक्ति यमुना में स्नान करेगा वह अकाल मृत्यु से भी मुक्त हो जाएगा।
यमुना नदी का उद्गम
Yamunotri Dham मंदिर से ही यमुना नदी का उद्गम हुआ है इसके पास ही दो पवित्र कुंड भी है जिसे सूर्यकुंड और गौरीकुंड के नाम से जाना जाता है सूर्य कुंड का जल हमेशा गर्म रहता है यहां पर आने वाले श्रद्धालु कपड़े की एक पोटली में चावल रखकर सूर्य कुंड के जल में पकाते हैं और प्रसाद के रूप में ग्रहण भी करते हैं।
सूर्य कुंड के निकट ही एक दिव्य शिला स्थित है इसे ज्योति शिला भी कहा जाता है कहां जाता है कि सूर्य कुंड में स्नान के बाद यमुनोत्री आने वाले की थकान दूर हो जाती है।
यमुनोत्री मंदिर का निर्माण
यमुनोत्री मंदिर के निर्माण के विषय में कहा जाता है कि 1919 में टिहरी गढ़वाल के राजा प्रताप साह ने इस मंदिर को बनवाया था, हालांकि 19वीं शताब्दी में भयंकर भूकंप के कारण यह मंदिर ध्वस्त हो गया था, जिसके बाद जयपुर की महारानी गुलेरिया ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 3235 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
यमुना नदी का वास्तविक स्त्रोत बर्फ की एक झील और चंपासार नाम का एक ग्लेशियर है जो कालिंदी पर्वत पर 4400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है बर्फ की इन झीलो को सप्तऋषि की कुंड के नाम से जाना जाता है नीतीश कुंड के ठीक ऊपर सप्तऋषि तारामंडल दिखाई देता है, इसलिए इस कुंड को सप्त ऋषि कुंड भी कहा जाता है।
यमुना का उद्गम स्थल Yamunotri Dham से 1 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है, यहां पर पहुंचना थोड़ा कठिन है, पर किसी गाइड की मदद से ट्रैक करके यहां पहुंच सकते हैं।
अगर आप शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ हैं सभी यह ट्रैक करें सामान्यतः सभी श्रद्धालु यमुनोत्री धाम में मां यमुना के दर्शन करके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
कालिंदी पर्वत से के कारण यमुना नदी को कालिंदी के नाम से भी जाना जाता है यमुना नदी तथा यमुनोत्री धाम का वर्णन हिंदू वेद पुराणों जैसे कर्मपुराण, केदारखंड, ऋग्वेद, ब्रह्मपुराण इत्यादि में देखने को मिलता है।
अन्य तीन धामों की तरह Yamunotri Dham भी केवल 6 महीनों के लिए ही खुला रहता है अन्य छह महीनों में यह मंदिर पूर्ण रूप से बर्फ से ढका रहता है इन शीतकालीन 6 महीनों के लिए मां यमुना की पूजा खड़शाली में की जाती है, खड़शाली को मा यमुना का मायका भी कहा जाता है, यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर खोले जाते हैं।
दीपावली के दिन पूरे विधि विधान से Yamunotri Dham के कपाट बंद किए जाते हैं इसलिए मई से अक्टूबर महीने तक लाखों श्रद्धालु मां यमुना के दर्शन करने आते हैं।
Yamunotri KAISE PAHUCHE
आप चार धाम की यात्रा शुरू करना चाहते हैं और आपने यमुनोत्री धाम की यात्रा सबसे पहले करने का निश्चय किया है तो आप सबसे पहले उत्तराखंड आकर रेल, बस अथवा हवाई मार्ग से यमुनोत्री धाम तक जा सकते हैं।
VIA AIR
यमुनोत्री से निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा हैं, आप देहरादून से उत्तरकाशी पहुंचकर आसानी से कोई टैक्सी या बस के माध्यम से यमुनोत्री पहुंच सकते हैं उत्तरकाशी से यमुनोत्री की दूरी मात्र 30.5 किलोमीटर है।
यमुनोत्री धाम के दर्शन के बाद आप तो यहां से गंगोत्री भी जा सकते हैं जो कि यमुनोत्री के पास ही है, यमुनोत्री धाम से गंगोत्री धाम की दूरी मात्र 45.8 किलोमीटर की है।
VIA BUS
यमुनोत्री धाम आप बस से भी जा सकते है। यमुनोत्री धाम जाने को आपको बस देहरादून या फिर हरिद्वार से मिलेगी।
VIA TRAIN
यमुनोत्री धाम का सबसे निकटतम रेल मार्ग ऋषिकेश तक है आप ऋषिकेश तक रेल माध्यम से आ सकते हैं तथा इसके पश्चात आप बस से यात्रा करके यमुनोत्री पहुंच सकते हैं ऋषिकेश से यमुनोत्री की दूरी 103 किलोमीटर है।
Yamunotri Nearby PLACES
अगर आप यमुनोत्री जाते हैं तो आपको यमुनोत्री के आसपास स्थित इन जगह पर जरूर जाना चाहिए जोकि आपके चार धाम की यात्रा को बहुत ही आनंदित बना देगी।
- Raithal Village (11 Km)
- Barsu Village (1 Km)
- Uttarkashi (2 Km)
- Jankichatti (1 Km)
- Kharsali (6 km)
- Hanumanchatti (13 km)
- Barkot (46 km)
आप Yamunotri Dham के पास स्थित इन जगहों पर जाते हैं तो आपको अत्यधिक आनंद की अनुभूति होगी, आप 1 से 2 दिन में इन सभी जगहों पर अच्छे से घूम सकते हैं।
Conclusion
हमें यहां पर यमुनोत्री धाम के बारे में जाना और विस्तार से यमुनोत्री धाम एवं उत्तराखंड की बाकी तीन धाम गंगोत्री धाम, केदारनाथ धाम, तथा बद्रीनाथ धाम यात्रा के बारे में चर्चा की।
अगर आप भी उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले यमुनोत्री धाम के बारे में यहां से जानकारी प्राप्त करके यमुनोत्री धाम की यात्रा करनी चाहिए।
Yamunotri Dham की यात्रा में आपको बहुत ही आनंद मिलेगा और इसी आनंद के साथ आप चारों धामों की यात्रा को आसानी से एवं आनंद में रूप में संपूर्ण कर लेंगे।
FAQs (Yamunotri Dham)
यमुनोत्री धाम क्यों प्रसिद्ध है?
यमुनोत्री धाम यमुना नदी का उद्गम स्थल है तथा इसे मां यमुना का निवास स्थान भी माना जाता है यह उत्तराखंड के चार प्रसिद्ध धाम में से एक है। अपने थर्मल स्प्रिंग्स और ग्लेशियरों के कारण प्रसिद्ध है।
केदारनाथ या यमुनोत्री कौन सा अधिक कठिन है?
यमुनोत्री धाम चार धामों में से सबसे प्रथम तथा निश्चित रूप से सबसे कठिन धाम है यहां की 49 अन्य धर्मों की तुलना में कम है लेकिन संकरा रास्ता मंदिर तक पहुंचना चुनौतीपूर्ण बना देता है।
यमुनोत्री में पानी गर्म क्यों होता है?
यमुनोत्री में पानी मंदिर के आसपास पहाड़ी गुफाओं से निकलने वाले झरनों से आता है आश्चर्य की बात यह है कि वह गर्म पानी के झरने बर्फ से ढकी पहाड़ी चोटियों से निकलते हैं यह बहुत दिलचस्प है कि आसपास का तापमान बहुत कम है लेकिन वहां का पानी गरम रहता है।
यमुनोत्री जाने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
यमुनोत्री धाम का मंदिर वर्ष के 6 माह खुला रहता है आप इन 6 माह में कभी भी यमुनोत्री दर्शन के लिए जा सकते हैं लेकिन यमुनोत्री दर्शन के लिए सबसे अच्छा समय मई से जून तथा सितंबर माह का होता है।