Dol Ashram | डोल आश्रम

Dol Ashram | डोल आश्रम

Dol Ashram, Uttarakhand के अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा ब्लॉक में स्थित है। शहर की भीड़भाड़ से दूर हरे भरे घने जंगलों के बीच बसा यह आश्रम अपने ऊपर प्रकृति ही अनुपम छटा को समेटे हुए हैं। यहां पर आने वाले लोगों के मन को एक असीम सी शांति का अनुभव होता है।

यहां पर आकर लोग अपनी सारी परेशानियों को भूलकर यहां की हरी-भरी सुंदर वादियों में खो जाते हैं, यह स्थान मन को बहुत सुकून वह शांति प्रदान करता है। यहां के मुख्य महंत बाबा श्री कल्याण दास जी महाराज है। जिनके अनुसार यह एक मठ नहीं है, बल्कि इसको आध्यात्मिक साधना का केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है ताकि अलग-अलग जगह से श्रद्धालु यहां पर आकर ध्यान व साधना कर सकें।

Dol Ashram को देखने के लिए देश विदेश से भी लोग आते हैं जो एक बार ashram में आता है यहीं का होकर रह जाता है, उसे बार-बार यहां पर आने का मन करता है।

Dol ashram का स्थापना वर्ष

Dol Ashram स्थापना वर्ष 1990 श्री परम योगी कल्याणदास जी द्वारा की गई थी।

श्री परमा योगी कल्याण दास जी का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में एक छोटे से गांव में हुआ था उन्होंने अपनी आध्यात्मिक यात्रा मात्र 12 साल की उम्र में ही शुरू कर दी थी और खुद को अपनी गुरु परमहंश बाबा स्वरूप दास जी को समर्पित कर दी थी। उन्होंने 20 वर्ष से भी अधिक समय तक हिमालय और उड़ीसा शहर में ध्यान किया। जोगी कल्याण दास जी ने कई आश्रमों की स्थापना की जिनमें से एक आश्रम डोल आश्रम जोकि अल्मोड़ा में स्थित है

Dol aashram परिसर

इस आश्रम में अष्ट धातु से निर्मित एक श्री-यंत्र है। जिसका वजन लगभग 1600 किलोग्राम का है और ऊंचाई साडे 3 फुट की है। यह मंदिर लगभग 8 एकड़ में फैला हुआ है। आश्रम में आश्रम पहुंचते ही आपको एक बहुत बड़ी शिव मूर्ति साथी नंदी की मूर्ति देखने को मिल जाएगी।

Dol Ashram | डोल आश्रम

इसके साथ ही आश्रम के अंदर बहुत ही सुंदर ध्यान कक्ष है जिसकी क्षमता लगभग 300 लोगों तक की है इस ध्यान यंत्र में लगभग 300 लोग एक साथ मिलकर ध्यान कर सकते हैं। डोल आश्रम में आपको बगीचे और शांतिपूर्वक वातावरण देखने को मिल जाएगा। आश्रम में के पुस्तकालय भी मौजूद है जिसमें 10000 से भी अधिक पुस्तकें रखी हुई है।

आश्रम में मौजूद श्री-यंत्र विश्व का सबसे बड़ा व भारी श्रीयंत्र है, और यह आश्रम के मुख्य आकर्षण का केंद्र भी है। श्री यंत्र अर्थात श्रीमान लक्ष्मी यानी कि यह धन देवी मां लक्ष्मी का यंत्र है। ऐसा कहा जाता है, कि जहां पर श्री-यंत्र की स्थापना होती है वहां पर महालक्ष्मी आने के लिए विवश हो जाती हैं।

इस श्रीयंत्र की स्थापना साल 2018 में हुई थी। श्रीपीठम में लगभग 300 लोग एक साथ बैठकर ध्यान लगा सकते हैं। यह श्रीपीठम 126 फुट ऊंचा तथा 150 मीटर चौड़ा है। आश्रम का मुख्य दरवाजा बहुत ही सुंदर है, जहां पर भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों की मूर्ति के रूप को दर्शाया गया है।

History Of Dol Ashram

Dol Ashram का असली नाम से श्री कल्याणिका हिमालय देवस्थानम न्यास कनरा-डोल है। इसका मुख्य उद्देश्य योग, ध्यान और वैदिक ज्ञान से जीवन के स्तर को ऊंचा उठाना है। बाबा कल्याण दास जी ने 12 वर्ष की आयु में ही देश के अनेक धर्म स्थलों में भ्रमण कर गंगा नदी के तट पर सद्गुरु स्वर्गीय बाबा स्वरूप दास जी महाराज से धर्म संप्रदाय की दीक्षा प्राप्त की और समाज के कल्याण के लिए सन 1978 में पहला आश्रम अमरकंटक जो कि मध्य प्रदेश में है।

Dol Ashram

आश्रम में प्रवेश करने पर भगवान शिव की लगभग 100 फीट ऊंची बेहद सुंदर मूर्ति बनाई गई है, जिसे देखने पर ऐसा लगता है कि भगवान स्वयं यहां पर विराजमान है आश्रम में मंदिरों का डिजाइन व रंग बेहद खूबसूरत है। पहाड़ों के बीच में बसाई यह आश्रम मन को मोह लेता है क्योंकि यह आश्रम समाज के उत्थान के लिए बनाया गया है इसलिए यह आश्रम एक संस्कृत विद्यालय भी चलाता है।

जहां पर बच्चों को ध्यान योग व आयुर्वेद शिक्षा के साथ-साथ वैदिक धर्म शास्त्र की शिक्षा भी दी जाती है इसमें सभी छात्र निःशुल्क पढ़ाई करते हैं। लेकिन संस्कृत भाषा के साथ साथ बच्चों को कंप्यूटर व अंग्रेजी भाषा का भी अध्ययन कराया जाता है । विद्यालय के अलावा एक अस्पताल व पुस्तकालय भी स्थित है।

जिसका नाम श्री चंद्राचार्य पुस्तकालय है, वह इसकी स्थापना सन 1997 में हुई थी। इस पुस्तकालय में विभिन्न विभिन्न विषयों की पुस्तकें मौजूद हैं यहां कुल मिलाकर दस हजार  से अधिक पुस्तकें रखी गई है। इस मंदिर के मध्य में श्री यंत्र को देवी महालक्ष्मी के रूप में स्थापित किया गया है तथा इमारत के दीवारों के भीतर की तरफ चारों ओर वेदों के ज्ञान को स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। आश्रम में फल फूल के वृक्ष लगाए गए हैं।

Dol Ashram कैसे जाये

Dol Ashram पहुंचने के लिए Haldwani से दो रास्ते हैं, एक रास्ता मुक्तेश्वर से पहुंचते हुए है जो लगभग 84 किलोमीटर लंबा है और दूसरा रास्ता Almora से होते हुए हैं जो 125 किलोमीटर की दूरी पर है। और अल्मोड़ा से Dol Ashram की दूरी मात्र 39 किलोमीटर है .

Dol ashram जाने का रास्ता बेहद सुंदर है हरे भरे पेड़ पौधों व हरियाली का रास्ता है। Main Road से करीब 1 किलोमीटर अंदर जाकर Dol ashram पड़ता है। वाहनों को खड़ा करने के लिए Parking व्यवस्था भी यहां पर मौजूद है। अगर आप यहां हवाई यात्रा से आना चाहते हैं तो यहां का सबसे नजदीकी एयरपो Airport, Pant Nagar में स्थित है।

Final Verdict

उत्तराखंड में ऐसे कई सारे धार्मिक स्थल मंदिर मौजूद है जहां आप को जरूर जाना चाहिए। इस Blog में हमने डोल आश्रम के बारे में जाना, जोकि उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले में स्थित है।

यह आश्रम बहुत ही सुंदर और शांतिपूर्वक वातावरण के बीचो बीच स्थित है यह आश्रम चारों तरफ से देवदार के वृक्षों से गिरा हुआ है आपको एक बार Dol Ashram अवश्य ही आना चाहिए।

Where is Dol Ashram?

Dol Ashram, Uttarakhand के अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा ब्लॉक में स्थित है।

Who is the founder of Dol Ashram?

Dol Ashram स्थापना वर्ष 1990 श्री परम योगी कल्याणदास जी द्वारा की गई थी।

What is Dol Ashram famous for?

डोल आश्रम अपनी खूबसूरती के लिए बहुत अधिक प्रसिद्ध है। शहर की भीड़भाड़ से दूर हरे भरे घने जंगलों के बीच बसा यह आश्रम अपने ऊपर प्रकृति ही अनुपम छटा को समेटे हुए हैं।

Dol Ashram में उपस्थित श्री-यंत्र का weight कितना हैं?

इस आश्रम में अष्ट धातु से निर्मित एक श्री-यंत्र है। जिसका वजन लगभग 1600 किलोग्राम का है और ऊंचाई साडे 3 फुट की है।

2 thoughts on “Dol Ashram | डोल आश्रम”

  1. डोल आश्रम में रुकने की क्या व्यवस्था है ?
    कितने दिन तक आश्रम में रुक सकते हैं ?
    रुकने का खर्च क्या है ?

    1. Vivek bhardwaj

      मैं श्री रामचंद्र मिशन से जुड़ा हुआ हूं ग्वालियर मध्य प्रदेश का रहने वाला हूं
      आश्रम में ध्यान के लिए आना चाहता हूं कब तक रह सकता हूं आश्रम में रोकने का क्या खर्च रहेगा

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