Chardham Uttarakhand | उत्तराखंड के चारधाम

Chardham Uttarakhand

उत्तराखंड के चार धाम (Chardham Uttarakhand) की यात्रा करने का सौभाग्य है जीवन में किसी किसी को ही प्राप्त होता है आज हम यहां पर आपको उत्तराखंड के चार धामों के बारे में जानकारी देंगे और विस्तार से बताएंगे कि उत्तराखंड के चार धाम कौन कौन से हैं और आप किस प्रकार उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा कर सकते हैं।

उत्तराखंड के चार धामों की यात्रा करने के लिए आपको उत्तराखंड के सबसे पहले धाम के बारे में जानना चाहिए उत्तराखंड का सबसे पहला धाम यमुनोत्री धाम है।

यमुनोत्री धाम यात्रा करने के बाद आप गंगोत्री धाम की यात्रा करेंगे उसके बाद आप केदारनाथ तथा इसी क्रम में आप बद्रीनाथ धाम की यात्रा करेंगे जब आप इसी क्रम में चारों धामों की यात्रा करते हैं तभी आपकी चार धाम यात्रा सफल मानी जाती है।

इन चार धामों को उत्तराखंड के सबसे पवित्र धाम माना जाता है तथा भगवान शिव से जुड़े यह चार धाम बहुत ही पवित्र होने के साथ-साथ लोगों के दुख कष्ट हरने वाले भी हैं यहां आने पर आपकी सभी दुख दर्द दूर हो जाते हैं।

उत्तराखंड के चार धामों (Chardham Uttarakhand) की अलग-अलग विशेषताएं तथा अलग-अलग कथाएं हैं जिनके बारे में हम यहां पर विस्तार से जानेंगे

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सनातन धर्म में भगवान शिव का दर्जा बहुत बड़ा है भगवान शिव को ही आदि और अंत कहा गया है अर्थात भगवान शिव से ही सब कुछ शुरू हुआ है और भगवान शिव पर ही सब कुछ खत्म हो जाएगा।

उत्तराखंड के यह चार धाम भगवान शिव से जुड़े हैं तथा जो भी व्यक्ति इन चार धामों की यात्रा सच्चे दिल से करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।

चलिए हम क्रमबद्ध रूप से उत्तराखंड के चार धामों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं और उत्तराखंड के चार धाम के बारे में जानते हैं कि किस प्रकार आप चार धाम यात्रा कर सकते हैं तथा इन चार धामों की विशेषता क्या है –

Yamunotri Dham

चार धाम में से सबसे प्रथम धाम यमुनोत्री धाम को माना जाता है तथा यमुनोत्री से ही यमुना नदी का उद्गम होता है यमुना नदी को मां यमुना कहकर भी पुकारा जाता है क्योंकि मां यमुना भारत के एक बहुत बड़े हिस्से में जल की आपूर्ति करती है।

Chardham Uttarakhand | उत्तराखंड के चारधाम

यमुनोत्री धाम को पांडवों से जोड़कर भी देखा जाता है पुराणों के अनुसार कहा जाता है कि पांडवों ने भी अपनी चार धाम यात्रा यमुनोत्री से शुरू की थी तथा इसके बाद वह गंगोत्री केदारनाथ तथा बद्रीनाथ के बाद स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर गए थे।

यमुनोत्री धाम के साथ बहुत सी पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हैं जिनमें से सबसे प्रचलित पौराणिक कथा है कि सूर्य देव की दो पत्नियां थी जिनका नाम संध्या तथा खाया था तथा इन की तीन संताने थी शनि देव, यमुना, तथा यमराज।

कहा जाता है कि यमराज को छाया दोष से मुक्त करवाने के लिए यमुना जी ने घोर तपस्या की और यमराज के छाया दोष से मुक्त होने के बाद उन्होंने वरदान मांगने को कहा तो यमुना जी ने वरदान मांगा कि आप मेरे जल को स्वच्छ एवं पवित्र कीजिए।

तब यमराज ने उन्हें यह वरदान दिया कि आपका जल स्वच्छ एवं पवित्र हो जाएगा तथा बाकी देवी-देवताओं ने भी उनको वरदान दिया कि आपके दिल में जो भी स्नान करेगा वह अपने सभी रोगों से तथा अकाल मृत्यु से भी मुक्त हो जाएगा।

👉 यमुनोत्री धाम के बारे में विस्तार से पढ़ें

Gangotri Dham

उत्तराखंड के मुख्य चार धामों में से दूसरा धाम गंगोत्री धाम है यमुनोत्री धाम के बाद गंगोत्री धाम की यात्रा की जाती है गंगोत्री धाम की अपनी अलग विशेषताएं हैं।

Chardham Uttarakhand | उत्तराखंड के चारधाम

चार धाम यात्रा में आपको सबसे सुंदर तथा सबसे आकर्षित गंगोत्री धाम लगेगा कहा जाता है कि गंगोत्री धाम स्वर्ग से भी सुंदर है आपको यहां पर आते ही आनंद की अनुभूति होगी यहां का सफर आपको किसी अलग दुनिया की अनुभूति करवाएगा।

गंगोत्री धाम में गंगोत्री मंदिर के निकट गौरीकुंड तथा केदार कुंड है। गंगोत्री मंदिर से लगभग 19 किलोमीटर की दूरी पर गोमुख नाम का स्थान स्थित है, जो भारत की पवित्र मां गंगा का उद्गम स्थल है जहां से मां गंगा निकलती है।

गंगोत्री धाम में माता गंगा के मंदिर भी हैं, जहां आप दीप जला सकते हैं और पूजा कर सकते हैं। इस स्थान के आसपास कई तीर्थस्थल हैं जैसे जानकी चट्ट, सुदर्शन पर्वत आदि।

👉 गंगोत्री धाम के बारे में विस्तार से पढ़ें

Kedarnath Dham

आज के समय में केदारनाथ धाम के बारे में कौन नहीं जानता केदारनाथ धाम उत्तराखंड का सबसे प्रचलित धाम है जो भगवान शिव को समर्पित है कहा जाता है कि आज भी भगवान शिव केदारनाथ धाम में वास करते हैं।

Chardham Uttarakhand | उत्तराखंड के चारधाम

उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ धाम हिमालय की गोद में बसा हुआ है, केदारनाथ धाम भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है तथा पंच केदार में से एक केदार केदारनाथ धाम है।

केदारनाथ धाम के कपाट 1 वर्ष में मात्र 6 माह के लिए खुले रहते हैं तथा शीत ऋतु में छह माह केदारनाथ धाम के कपाट बंद रहते हैं केदारनाथ धाम के कपाट वैशाखी पर खोले जाते हैं तथा दिवाली के बाद भाई दूज को केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

वर्ष 2013 की बाढ़ के बाद चार धाम यात्रा के लिए registration करवाना पड़ता है आप registration करवा कर ही चारधाम यात्रा कर पाते हैं।

👉 केदारनाथ धाम के बारे में विस्तार से पढ़ें

Badrinath Dham

उत्तराखंड के चार धाम में सबसे अंतिम धाम बद्रीनाथ धाम, बद्रीनाथ धाम की यात्रा सबसे अंत में की जाती है। इसी क्रम में चार धाम की यात्रा करके बद्रीनाथ धाम की सबसे अंतिम यात्रा करने पर आपकी चार धाम यात्रा संपूर्ण मानी जाती है।

Chardham Uttarakhand | उत्तराखंड के चारधाम

उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के लिए आपको सरकार द्वारा registration करवाना अनिवार्य होता है आपको registration करवा कर ही चारधाम यात्रा करनी होती है।

बद्रीनाथ धाम की कई विशेषताएं हैं, कई कथाएं बद्रीनाथ धाम के साथ जुड़ी हैं तथा पुराणों के अनुसार बद्रीनाथ धाम में भगवान शिव का निवास था, परंतु भगवान विष्णु को बद्रीनाथ धाम इतना पसंद आया कि उन्होंने यहां रहने का निश्चय किया।

तब वह एक बालक का रूप धारण करके रोते हुए मां पार्वती के सामने आए मां पार्वती उन्हें बद्रीनाथ धाम मेले गई तथा उसके बाद उन्होंने वहीं रहने का निश्चय किया तथा भगवान शिव और मां पार्वती केदारनाथ धाम को प्रस्थान कर गए

👉 गंगोत्री धाम के बारे में विस्तार से पढ़ें

CHARDHAM uttarakhand map

इस मानचित्र के अनुसार आप उत्तराखंड के चार धाम देख सकते हैं आप यहां हरिद्वार तथा देहरादून से आसानी से आ सकते हैं आपको सबसे पहले हवाई मार्ग से देहरादून अथवा रेल मार्ग से हरिद्वार या ऋषिकेश आना है उसके बाद आप अब बस के माध्यम से उत्तरकाशी आकर चार धाम की यात्रा शुरू कर सकते हैं।

CHARDHAM uttarakhand map

uttarakhand char dham registration

चार धाम यात्रा के लिए Registration करवाने के लिए उत्तराखंड सरकार ने एक टोल फ्री नंबर जारी किया है आप उस टोल फ्री नंबर के माध्यम से चार धाम यात्रा का रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।

उत्तराखंड सरकार के अनुसार अभी तक 1500000 से अधिक श्रद्धालु चार धाम यात्रा का Registration करवा चुके हैं – टोल फ्री नंबर 1364 (उत्तराखंड से) या 0135-1364 या 0135-3520100 पर कॉल करके पंजीकरण कराया जा सकता है।

2013 की बाढ़ के बाद उत्तराखंड सरकार ने चार धाम यात्रा करने पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है, क्योकि यहाँ पर एक सीमा से ज्यादा श्रदालु दर्शन करने आने लगे जिस से उनकी सुरक्षा तथा संतुलन मुश्किल था, इसी लिए उत्तराखंड सरकार ने char Dham registration शुरू किया।

how to start char dham yatra

अगर आप चार धाम यात्रा करना चाहते हैं तो आपको अपनी चार धाम यात्रा सबसे पहले यमुनोत्री धाम से शुरू करनी होगी उसके बाद आप क्रमशः गंगोत्री धाम, केदारनाथ धाम, तथा बद्रीनाथ धाम होते हुए अपनी चार धाम यात्रा समाप्त करेंगे।

चार धाम यात्रा शुरू करने के लिए आप सबसे पहले उत्तराखंड आकर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में पहुंच जाएंगे अगर आप हवाई यात्रा करते उत्तराखंड आना चाहते हैं तो उत्तरकाशी का सबसे नजदीक हवाई अड्डा देहरादून में है।

अगर आप ट्रेन के माध्यम से उत्तरकाशी आना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले हरिद्वार अथवा ऋषिकेश आना होगा अगर आप देहरादून आते हैं तो देहरादून से मात्र 200 किलोमीटर की दूरी पर उत्तरकाशी है, आप बस के माध्यम से देहरादून से उत्तरकाशी जा सकते हैं।

उत्तरकाशी में यमुनोत्री धाम की यात्रा करके आप गंगोत्री धाम की यात्रा कर सकते हैं तथा इसके बाद आप केदारनाथ धाम की यात्रा के लिए निकल सकते हैं और इसी क्रम में बद्रीनाथ धाम की यात्रा भी कर सकते हैं।

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अगर आप चार धाम यात्रा करना चाहते हैं तो आप बहुत सारे Travel Agency book कर सकते हैं जो आपको चार धाम की यात्रा कम से कम समय में तथा अच्छी Guide के साथ करवाएंगी।

आप अपने budget के अनुसार अन्य Travel Agency के बारे में भी देख सकते हैं लेकिन हमने यहां पर आपको एक Travel Agency के बारे में बताया है जो चार धाम यात्रा करवाती है।

Conclusion

हमें यहां पर उत्तराखंड के चार धाम के बारे में जाना तथा आप किस प्रकार उत्तराखंड के चार धाम यात्रा कर सकते हैं इसके बारे में भी विस्तार से चर्चा की हमें उम्मीद है कि आप जल्दी ही उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के लिए आएंगे।

उत्तराखंड चार धाम के बारे में अपने विचार आप हमें comment box के माध्यम से बता सकते हैं तथा उत्तराखंड के चार धाम – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, तथा बद्रीनाथ के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए हमारे blog पर दिए गए link के माध्यम से इनकी विस्तार जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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