हम यहां पर Uttarakhand के बारे में बात करेंगे तथा उत्तराखंड की संस्कृति तथा इतिहास के बारे में जानेंगे। Uttarakhand को “देवों की भूमि” भी कहा जाता हैं। यहाँ अनेक देवी देवताओं का वास हैं।
उत्तराखंड को उसकी खूबसूसरती व संस्कृति के साथ साथ उसके इतिहास के लिए भी जाना जाता हैं। Uttarakhand का इतिहास बड़ा ही रोचक हैं।
About Uttarakhand
उत्तराखंड को दो मंडल में विभाजित किया हैं – कुमाऊँ मंडल जहाँ कुमाउँनी भाषा बोली जाती है, और गढ़वाल मण्डल जहाँ गढ़वाली भाषा बोली जाती है।
Uttarakhand एक ऐसा राज्य है जिसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। उत्तराखंड राज्य का गठन 9 नवंबर 2000 में हुआ था।
उत्तर प्रदेश से अलग होने का मुख्य कारण बेहतर विकास और अच्छे प्रशासन से होना था। Uttarakhand के लोगो की भाषा, रहन-सहन उत्तर प्रदेश के लोगों से काफी अलग था। वर्ष 1897 में Uttarakhand अलग करने की मांग शुरू होने लगी, जो की वर्ष 1947 में आगे बढ़ने लगी।
वर्ष 1926 में कुमाऊं परिषद की स्थापना धीरे-धीरे पहाड़ी जीवन की दास्तान को देखते हुए “बद्री दत्त पांडे जी” ने हल्द्वानी में Uttarakhand क्षेत्र की मांग के लिए अपनी आवाज उठाई। जिसमें “अनुसूया प्रसाद बहुगुणा” ने कुमाऊं और गढ़वाल दो अलग मंडल की मांग रखी और उस समय के उत्तर प्रदेश के रजिस्ट्रार काउंसिल में श्री इंद्र प्रसाद नैय्यर ने भी उत्तराखंड के अलग राज्य होने की बात कही थी।
वैसे इस माह के पक्ष में पंडित जवाहरलाल नेहरु जी के देश के आजादी के बाद 1952 उत्तराखंड के प्रथम व्यक्ति श्री पूरन चंद जोशी ने भी उत्तराखंड राज्य की मांग की थी। जोकि उत्तर प्रदेश की पर्वतीय क्षेत्र को मिलाकर एक अलग राज्य उत्तराखंड की मांग करते हैं।
जो वर्ष 1955 के आते आते उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग करने के प्रस्ताव की नीव मजबूत होने लगी थी अब वर्ष 1970 प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी ने भी स्वीकार किया, कि पहाड़ी जीवन के बेहतर विकास व प्रशासन के लिए उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्से को अलग करना होगा।
इस फैसले के बाद 24 जुलाई 1979 में उत्तराखंड क्रांति दल(UKD) ने जन्म लिया और जून 1987 में कर्णप्रयाग में यूकेडी पार्टी के नेताओं ने संघर्ष के लिए धरने दिए इसके बाद हिंसक घटनाएं शुरू होने लगी। जिसमें अनेक आंदोलनकारी शहीद हो गए थे और इसके चलते उत्तराखंड के लोगों में गुस्से की लहर दौड़ जाती है और वह स्कूलों सरकारी बैंकों आदि बंद कर देते हैं और सरकारी कार्यों का बहिष्कार करने लगते।
धीरे-धीरे लोग संसद को घेरने के लिए दिल्ली की ओर निकलते हैं लेकिन उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव जी के द्वारा इन और आंदोलनकारियों को रोका जाता है। रामपुर तिराहे में जब उनकी बस रूकती है तब पुलिस वालों के द्वारा महिलाओं के साथ बुरा सलूक और लोगों के साथ लाठीचार्ज होता है।
जिसे आज हम मुजफ्फरपुर कांड या रामपुर कांड तिराहा नाम से जानते हैं। इस घटना के बाद देहरादून में लोगों के द्वारा कर्फ्यू लगाया गया। जिसमें कई लोग घायल व उनके मरने की खबरें आने लगी तब पहाड़ के लोगों का संघर्ष बहादुरी और निरंतर बलिदान को मद्देनजर रखते हुए उस समय के प्रधानमंत्री श्री एचडी देवगौरा ने लाल किले से नए राज्य उत्तरांचल को बनाने की बात कही और वर्ष 1998 में बीजेपी गठबंधन ने उत्तरांचल बिल को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर भेजा और उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे Central Government को भेजा।
1 अगस्त 2000 में लोकसभा ने इस बिल को पास किया और 10 अगस्त 2000 में राज्यसभा ने भी इस बिल को पास कर दिया था और 9 नवंबर 2000 में उत्तरांचल 27 वां राज्य बनकर हमारे सामने आया।
Uttaranchal को उत्तर प्रदेश से अलग करने में पहाड़ी लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया। धन्य है ऐसे लोग जिनकी वजह से आज भी संस्कृति व सभ्यता बनी हुई है।
UTTARAKHAND’s Map
Uttarakhand का क्षेत्रफल एवं जनसंख्या
Uttarakhand का क्षेत्रफल लगभग 53500 वर्ग किलोमीटर है। यहां की जनसंख्या 12000000 है। यहां पर कुल 13 जिले हैं।
देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल, उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग, नैनीताल, अल्मोड़ा, चंपावत, पिथौरागढ़, बागेश्वर, उधम सिंह नगर, चमोली, आदि उत्तराखंड के 13 बड़े शहर हैं।
नैनीताल, मसूरी, बाजपुर, अल्मोड़ा, सितारगंज, कोटद्वार, ऋषिकेश, काशीपुर, रुद्रपुर, रुड़की, हल्द्वानी, काठगोदाम, हरिद्वार, देहरादून, विकासनगर, जसपुर, सितारगंज, मंगलौर, आदि उत्तराखंड के प्रसिद्ध शहर हैं।
History of uttarakhand
Uttarakhand जिसे ऋग्वेद में देवभूमि या मनुष्यों की पूर्ण भूमि कहा जाता हैं। ऐतरय ब्राह्मण उत्तर कुरु व स्कंद पुराण में दो खंडों में, मानस खंड व केदारखंड में विभाजित किया गया है।
जिसमें मानस खंड जो वर्तमान का कुमाऊं मंडल है। और केदारखंड जो वर्तमान का गढ़वाल मंडल है। Uttarakhand के कई और नाम भी है जैसे ब्रह्मपुर, उत्तरखंड, और हिमवंत।
उस समय गढ़वाल को स्वर्ग भूमि या बद्री का आश्रम कहा जाता था और वही कुमाऊं को कुर्मांचल कहा जाता था। Uttarakhand में 2 विद्यापीठ भी स्थित थे। जोकि है बद्रिका आश्रम और कण्वाश्रम।
कण्वाश्रम वह जगह है जहां पर शकुंतला के पुत्र भरत का जन्म हुआ था जोकि मालिनी नदी के निकट है। साथ ही साथ अभिज्ञान शकुंतलम की रचना भी इसी आश्रम में की गई थी। जो की महान कवि कालिदास द्वारा रचित है। इसमें कई सबूत उत्तराखंड में आज भी मौजूद है। जो कि उत्तराखंड की प्राचीनता का प्रमाण देते हैं।
अल्मोड़ा में स्थित लाखों गुफा पीठशाला . चमोली में स्थित ग्वारखा गुफा (Gvarkhya Cave) और मलारी गुफा व पिथौरागढ़ में स्थित बनकोट यह सभी जगह उत्तराखंड के प्राचीन होने का प्रमाण देती हैं।
Uttarakhand की सबसे पहली राजनीतिक शक्ति कुनिंदा वंश थी। और इस वंश का सबसे शक्तिशाली राजा था अमोघभूति और इसके बाद आए शंख वंश व इसके बाद आए कुषाण वंश, नागवंशी और मौखरी वंश जिन्होंने कुछ समय के लिए ही यहां पर शासन किया। कार्तिकेयपुर राजवंश को कुमाऊं का पहला शाही राजवंश माना जाता है।
Various dance forms in uttarakhand
Uttarakhand राज्य में लोक नृत्य की परंपरा बहुत प्राचीन है। विभिन्न अवसरों पर लोकगीतों के साथ-साथ लोक नृत्य किए जाते हैं। बहुत प्राचीन काल से ही उत्तराखंड में मेलों का आयोजन होते रहा है। जिससे उत्तराखंड की संस्कृति को बढ़ावा मिला है।
Uttarakhand के कुछ लोक नृत्य इस प्रकार हैं ➡️
Jhoda Dance (झोड़ा नृत्य)
Jhoda dance उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध लोक नृत्य है। यह ज्यादातर कुमाऊं क्षेत्र में चांदनी रात में किया जाने वाला स्त्री पुरुषों का शृंगारिक नृत्य है। मुख्य गायक वृत्त के बीच में हुड़की बजाता नृत्य करता है। यह एक आकर्षक नित्य है। जो गढ़वाली नेतृत्व चाचरी के तरह पूरी राजभर किया जाता है। यह नित्य का मुख्य केंद्र बागेश्वर है। यह नृत्य हर उत्सव, शादियों, और पर्व आदि में किया जाता हैं।
Mandaan Dance (मंडाण नृत्य)
यह गढ़वाल क्षेत्र का प्रसिद्ध नृत्य हैं एवं उत्तरकाशी जनपदों में देवी देवताओं के पूजन वह शादियों के मौके पर किया जाने वाला नृत्य है। इस नृत्य को केदार नृत्य नाम से भी जाना जाता है।
Jagar Dance (जागर नृत्य)
यह कुमाऊँ और गढ़वाल क्षेत्र में पौराणिक गाथा पर आधारित नृत्य है। यह देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। जागर गीतों का ज्ञाता को जगरिया कहते हैं। जो डमरू व थाली लेकर इस गीत को गाता है। वह दूसरे वादक अजी हुड़का व ढोल दामु को बजाते हैं।
Choliya Dance (छोलिया नृत्य)
यह कुमाऊं क्षेत्र का एक प्रसिद्ध युद्ध नृत्य है। जिसे शादी व धार्मिक आयोजन में ढाल तलवार के साथ किया जाता है। यह नृत्य नागराजा, नरसिंह और पांडवो की लीलाओं पर आधारित हैं। इसमें मुख्यतः 22 कलाकार शामिल होते हैं जिनमे से 14 संगीतकार और 8 नृत्यक होते हैं। इस नृत्य को करते समय कलाकार एक विशेष तरह की पोशाक धारण करते हैं।
Chanchari Dance (चांचरी नृत्य)
यह गढ़वाल क्षेत्र में माघ माह की चांदनी रात में स्त्री पुरुष द्वारा किया जाने वाला एक श्रृंगारनृत्य है। मुख्य गायक नृत्य के बीच में हुड़की बजाते हुए नृत्य करता है और कुमाऊँ क्षेत्र में इससे झोड़ा कहा जाता है।
Foods Of Uttarakhand
Uttarakhand का भोजन वैसे तो बहुत ही प्रसिद्ध है परंतु यहां कुछ ऐसी पारंपरिक भोजन व मिठाईयां प्रसिद्ध है जिनके बारे में हम आपको आपने blog के माध्यम से बताएंगे।
मंडुआ की रोटी
जिसे पारंपरिक भाषा में कोदा भी कहा जाता है। यह मडुवे (Ragi) को पीसकर उसके आटे से बनने वाली रोटियां होती है जिससे घी व पीसे हुए नमक के साथ खाया जाता है।
कापला या कापली
सरसों या पालक को उबालकर उसको पीसने के बाद कापला बनाया जाता है। वह इसे चावल के साथ खाया जाता है।
गातवाणी या फाणु का साग
गहत की दाल को उबालकर उसे पीसा जाता है और फिर इस पिसे हुए से गतवाणी बनाया जाता है उत्तराखंड राज्य एक प्रसिद्ध व्यंजन है।
भट्टवाणी
भट्ट को सबसे पहले पीसा जाता है और फिर इसे धीमी आंच पर पकाया जाता है फिर उसमें छौंकालगाने के बाद उसे चावल के साथ परोसते हैं। इसे कई छेत्र में डुबुक के नाम से भी जाना जाता हैं।
कंडाली (बिच्छू घास) का कापली
उत्तराखंड में मिलने वाली बिच्छू घास से यह व्यंजन बनाया जाता है जिसमें बिच्छू घास को उबालने के बाद उसका साग बनाया जाता है। यह साग Thyroid और diabetic patience के लिए काफी लबदायक होता हैं।
झोली अर्थात कड़ी
उत्तराखंड राज्य में कड़ी अलग तरीके से बनाई जाती है। यहां बेसन का प्रयोग ना करके भीगे हुए चावलों को सिलबट्टे में पीसकर दही या छाछ के साथ मिलाकर के झोली बनाई जाती है।
उत्तराखंड में इसी प्रकार से कई अलग अलग मिठाइयां भी बनाई जाती हैं जैसे सिंगोड़ी, चॉकलेट, झंगोरे की खीर आदि प्रकार की मिठाईयां खास अवसरों पर घर में बनाई जाती है।
Conclusion
इस blog के माध्यम से हमने Uttarakhand की संस्कृति तथा Uttarakhand के इतिहास, रहन – सहन खान – पान आदि के बारे में जाना। और हमने जाना उत्तराखंड के प्रमुख भोजन कौन कौन से हैं।
What is the old name of Uttarakhand?
Uttarakhand का पुराना नाम Uttaranchal था।
folk dance of uttarakhand
Chanchari Dance (चांचरी नृत्य), Choliya Dance (छोलिया नृत्य), Jagar Dance (जागर नृत्य), Jhoda Dance (झोड़ा नृत्य), Mandaan dance (मंडाण नृत्य) आदि हैं।
area and population of uttarakhand?
Uttarakhand का क्षेत्रफल लगभग 53500 वर्ग किलोमीटर है। यहां की जनसंख्या 12000000 है।
Uttarakhand ki स्थापना कब हुई थी ?
उत्तराखंड राज्य का गठन 9 नवंबर 2000 में हुआ था।
uttarakhand में कितने जिले हैं ?
Uttarakhand में कुल 13 ज़िले हैं — देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल, उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग, नैनीताल, अल्मोड़ा, चंपावत, पिथौरागढ़, बागेश्वर, उधम सिंह नगर, चमोली।