हरिद्वार उत्तराखंड का ही नहीं बल्कि भारत का भी एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। हरिद्वार को हिंदुओं के सात सबसे पवित्र स्थानों (सप्त पुरी) में से एक माना जाता है।
हरिद्वार बेहद ही पवित्र स्थान है, जिसे मंदिर का शहर के रूप में भी जाना जाता है।
समुद्र मंथन के अनुसार – उज्जैन, नासिक और प्रयागराज (इलाहाबाद) के साथ हरिद्वार उन चार स्थलों में से एक है। जहां आकाशीय पक्षी गरुड़ द्वारा ले जाए जाने के दौरान अमरता के अमृत अमृत की बूंदें गलती से घड़े से गिर गईं।
यह कुंभ मेले में प्रकट होता है, जो हर 12 साल में हरिद्वार में मनाया जाता है। Haridwar कुंभ मेले के दौरान, लाखों तीर्थयात्री, भक्त और पर्यटक मोक्ष प्राप्त करने के लिए अपने पापों को धोने के लिए गंगा नदी के तट पर स्नान करने के लिए हरिद्वार में एकत्रित होते हैं।
ब्रह्म कुंड, वह स्थान जहां अमृत गिरा था, हर की पौड़ी (शाब्दिक रूप से, “भगवान के चरणों”) में स्थित है और इसे हरिद्वार का सबसे पवित्र घाट माना जाता है।
यह कंवर तीर्थयात्रा का प्राथमिक केंद्र भी है, जिसमें लाखों प्रतिभागी गंगा से पवित्र जल इकट्ठा करते हैं और इसे सैकड़ों मील दूर शिव मंदिरों में चढ़ाने के लिए ले जाते हैं।हरिद्वार भारतीय संस्कृति और विकास का बहुरूपदर्शक प्रस्तुत करता है।
पवित्र ग्रंथों में इसे कपिलस्थान, गंगाद्वार और मायापुरी के रूप में अलग-अलग रूप से निर्दिष्ट किया गया है। यह चार धाम (उत्तराखंड में यात्रा के चार मुख्य केंद्र, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री) को इंगित करता है, इसलिए शैव (भगवान शिव के अनुयायी) और वैष्णव (भगवान विष्णु के भक्त) इस स्थान को कहते हैं।
हरद्वार और हरिद्वार अलग-अलग, हर के शिव होने और हरि के विष्णु होने के संबंध में।हरि का अर्थ है “भगवान विष्णु”। तो, हरिद्वार का अर्थ “भगवान विष्णु का प्रवेश द्वार” है।
बद्रीनाथ तक पहुँचने के लिए, चार चार धामों में से एक, भगवान विष्णु के मंदिर के साथ, हरिद्वार एक तीर्थयात्री की यात्रा शुरू करने के लिए एक विशिष्ट स्थान है। इसलिए इसका नाम हरिद्वार पड़ा।दूसरी ओर, संस्कृत में, हारा का अर्थ है “भगवान शिव” और द्वार का अर्थ है “द्वार” या “प्रवेश द्वार”। इसलिए, हरिद्वार का अर्थ “भगवान शिव का प्रवेश द्वार” है।
कैलाश पर्वत, भगवान शिव के शाश्वत निवास, केदारनाथ, सबसे उत्तरी ज्योतिर्लिंग और छोटे चार धाम तीर्थ सर्किट और गौमुख, गंगा नदी के स्रोत के स्थलों में से एक तक पहुँचने के लिए तीर्थयात्री की यात्रा शुरू करने के लिए हरिद्वार एक विशिष्ट स्थान रहा है।
हर की पौड़ी या भगवान शिव के चरणों को हरिद्वार में सबसे पवित्र स्थल माना जाता है।हरिद्वार को देवी सती के घर और उनके पिता दक्ष के महल के रूप में भी जाना जाता है। प्राचीन काल में, इस शहर को गंगाद्वार (गंगाद्वार) भी कहा जाता था, वह स्थान जहाँ गंगा मैदानों में उतरती है।
PLACES TO VISIT IN HARIDWAR
haridwar में इन जगहों पर आपको जरूर जाना चाहिए।
मां मनसा देवी मंदिर
मनसा देवी के दर्शन करने से आपको सभी कष्टों और पीड़ाओ से मुक्ति मिल जाती हैं। हिंदू धर्म के अनुसार मां मनसा भगवान शिव की बेटी हैं जिनकी शादी जगत्कारू से हुई थी।
माँ मनसा देवी का एक पुत्र भी था जिसका नाम आस्तिक था।
इस जगह पर जाने के लिए आपको हरिद्वार से लगभग 3 km की चढ़ाई करनी पड़ेगी।
यह मंदिर प्रातः 7:00 बजे से लेकर शाम के 7:00 बजे तक खुला रहता है। इस मंदिर के दर्शन आप साल में किसी भी समय कर सकते हैं।
कहा जाता है कि इस मंदिर में धागा बांधने से आपकी हर इच्छा पूरी हो जाती है।
मां चंडी देवी मंदिर
यह मंदिर शिवालिक हिल्स के नील पर्वत पर स्थित है। यह जगह Haridwar के 5 धामों में से एक है और यह एक सिद्ध पीठ भी है इस मंदिर में माता चंडी की पूजा की जाती है और नवरात्रों के समय यहां पर बहुत भीड़ होती है।
इस जगह पर जाने के लिए आपको लगभग 30 से 40 मिनट की चढ़ाई करनी पड़ेगी यह मंदिर प्रातः 7:00 बजे से लेकर शाम के 7:00 बजे तक खुला रहता है इस मंदिर के दर्शन आप साल में किसी भी समय कर सकते हैं।
नील पर्वत तीर्थ यह हरिद्वार के सबसे पुराने मंदिरों में गिना जाता है पूरे साल यहां श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है माता चंडी देवी के मंदिर में सबसे ज्यादा भीड़ होती है। चंडी चौदस को नवरात्रों को और कुंभ मेले के दौरान क्योंकि ऐसा माना जाता है की माता चंडी देवी के दर्शन करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
हर की पौड़ी
हर की पौड़ी का अर्थ है भगवान शिव की पेड़ी हर की पौड़ी वह स्थान है जहां हरिद्वार आने वाला व्यक्ति जरूर आता है यह वह स्थान है जहां पर आप गंगा जी मैं डुबकी लगा सकते हैं।
Haridwar में बहुत से घाट है लेकिन हर की पौड़ी मैं गंगा की डुबकी बहुत ही पवित्र मानी जाती है हर की पौड़ी में रुकने के लिए आपको धर्मशाला बोतल भी मिल जाएंगे अगर आप हरिद्वार आ रहे हैं, तो हर की पौड़ी आना ना भूले।
यहां पर हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं और गंगा जी में स्नान करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि हर की पौड़ी में स्नान करने से आपके सभी पाप धुल जाते हैं और यह भी मान्यता है हर की पौड़ी उन चार जगहों में से एक है जहां पर भगवान गरुणा ने अमृत की बूंदे टपकाई थी। हर की पौड़ी वो जगह है, जहां गंगा हिमालय से निकलकर धरती को छूती है।
राजा जी नेशनल पार्क
यहां पर आप जंगल सफारी काफी आनंद उठा सकते हैं और यहां पर कई तरह के जानवर जैसे हाथी , बाघ व हिरण भी देख सकते हैं यह पार्क लगभग 830 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
अगर आप वाइल्डलाइफ लवर है तो आप यहां जरूर जाएं यहां पर लगभग 34 किलोमीटर लंबा जंगल ट्रैक है यहां पर आप ट्रैकिंग करने के लिए सुबह 6:00 और दोपहर 2:00 बजे जा सकते हैं
शांतिकुंज
इस जगह को शांति कुंज गायत्री परिवार आश्रम के नाम से भी जाना जाता है शांतिकुंज का उद्देश्य है मानवता के लिए काम करना और यह आपको सामाजिक जागरूकता पर ज्ञान देता है शांतिकुंज में जाकर आप सीखेंगे की कैसे आप अपनी जिंदगी शांति व खुशहाली से जी सकते हैं।
शांतिकुंज में आप यज्ञशाला अखंड दीप हिमालया टेंपल आदि के दर्शन कर सकते हैं यहां पर आने के लिए आपको कोई भी शुल्क नहीं देना पड़ेगा और यहां रहने – खाने की व्यवस्था निशुल्क दी जाती है शांतिकुंज के अंदर आपको एक हिमालया टेंपल भी मिलेगा जहां बैठकर आप ध्यान लगा सकते हैं या तपस्या भी कर सकते हैं।
बड़ा बाजार
यह हरिद्वार की मेन मार्केट है। और रेलवे स्टेशन के समीप होने के कारण यहां पर बहुत भीड़ रहती है।
यहां पर आपको पूजा व हवन के लिए सामग्रियां भी मिल जाएंगे इस बाजार में रुद्राक्ष की माला अन्य प्रकार की धार्मिक चीजें मिलती है यह बाजार सुबह से लेकर शाम तक खुला रहता है हरिद्वार की सबसे अच्छी खाने पीने की चीजें आपको इसे बाजार में मिलेंगी।
दक्ष महादेव मंदिर
दक्ष महादेव का प्राचीन मंदिर जिसे दक्षेश्वर महादेव मंदिर भी कहा जाता है, Haridwar के दक्षिण कनखल शहर में स्थित है।माता सती के पिता महाराजा दक्ष के नाम पर यह मंदिर बना है और यह मंदिर शिव जी के भक्तों के लिए समर्पित है इस जगह पर पूरे साल भक्तों की भीड़ लगी रहती है। लेकिन सावन के महीने में यहां पर सबसे अधिक भीड़ देखने को मिल जाती है।
इस मंदिर में दक्ष घाट और यदवी कुंड नाम की भी जगह है। इस मंदिर में आपको महाराजा दक्ष के जीवन काल के बहुत चित्र देखने को मिल जाएंगे जिसके दर्शन आप यहां पर कर सकते हैं यह मंदिर सुबह 6:00 बजे से शाम 8:00 बजे तक खुला रहता है यह मंदिर हरिद्वार से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
पावन धाम
हरिद्वार का यह पवन धाम बेहद खूबसूरत और लोकप्रिय मंदिर है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है यहां की सुंदरता मंदिर की सभी चीजें वह मूर्तियां कांच के छोटे-छोटे टुकड़ों से मिलकर बनाई गई है हरिद्वार से लगभग 2 किलोमीटर दूर यह मंदिर पूरा कांच से बना हुआ है।
यहां के सबसे बड़ी आकर्षण का केंद्र है यहां की कृष्ण और अर्जुन की मूर्ति जिसमें श्री कृष्ण अर्जुन को उपदेश दे रहे हैं पवन धाम के दर्शन के लिए वह 1 घंटे का समय काफी है। यह हर की पौड़ी से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
Haridwar is Famous for?
हरिद्वार उत्तराखंड का ही नहीं बल्कि भारत का भी एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। हरिद्वार को हिंदुओं के सात सबसे पवित्र स्थानों (सप्त पुरी) में से एक माना जाता है।
हर की पौड़ी या भगवान शिव के चरणों को हरिद्वार में सबसे पवित्र स्थल माना जाता है।
हरिद्वार को हर की पौड़ी क्यों कहा जाता है?
हर की पौड़ी “हर” का अर्थ है “भगवान शिव” और “पौड़ी” का अर्थ है “कदम”।हर की पौड़ी या भगवान शिव के चरणों को हरिद्वार में सबसे पवित्र स्थल माना जाता है।
हर की पौड़ी किसने बनवाया था?
हर की पौड़ी की स्थापना राजा विक्रमादित्य ने की थी।
हरिद्वार से ऋषिकेश तक की दुरी ?
हरिद्वार से ऋषिकेश तक की दुरी 26.8 km 50 min की हैं।