भक्ति समर्पण और वैभव का धाम Kartik Swami Temple, Kartik Swami Uttarakhand में भगवान कार्तिकेय का एकमात्र मंदिर जो मौजूद है हिमालय के ऊंचे पहाड़ों में जोकि अपने आप में बहुत ही खूबसूरत मंदिरों में से एक है।
यह मंदिर भगवान महादेव के बड़े पुत्र कार्तिकेय जी को समर्पित है। जिन्होंने अपने पिता के प्रति समर्पण के प्रमाण के रूप में अपनी हड्डियों को दिया था।
यह भूमि आज भी भगवान कार्तिकेय जी के बलिदान और अपने माता-पिता के प्रति उनके सम्मान की भावना को याद कराता है। उनकी अस्थियां आज भी इस मंदिर में मौजूद है।
Kartik Swami Temple जाने के रास्ते में एक गांव आता है, कनकचौरी वहीं से मंदिर की ट्रैकिंग शुरू होती है।
यहां से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां का मौसम बहुत सुहाना रहता है सर्दी के दिनों में यहां पर काफी बर्फ भी गिरती है जिससे यहां पर अच्छी खासी ठंड रहती है।
मंदिर तक पहुंचने पर ही बीच में जंगल पड़ता है और अगर कोई रास्ते में थक जाए तो विश्राम के लिए जगह जगह पर Bench भी बनाई गई है।
पैदल चलते हुए रास्ते की खूबसूरती का आनंद भी लेने को मिलता है यहां से गढ़वाल के बड़े बड़े पहाड़ भी दिखाई देते हैं और हिमालय का बेहद खूबसूरत नजारा भी देखने को मिलता है।
Kartik Swami Temple, Uttarakhand मंदिर रुद्रप्रयाग जिले के पवित्र पर्यटक स्थलों में से एक है। रुद्रप्रयाग शहर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर यह मंदिर स्थित है।
Kartik Swami Temple History
समुंद्र तल से 3048 मीटर की ऊंचाई पर स्थिति यह मंदिर हिमालय की चोटियों से घिरा हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों से कहा कि वे पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगा कर आए और घोषित किया कि जो भी पहले पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर यहां पर आएगा उसे ही माता-पिता की पूजा करने का अवसर प्राप्त करेगा।
भगवान गणेश जी जो कि शिवजी के दूसरे पुत्र थे उन्होंने अपने माता-पिता का चक्कर लगाकर यह प्रतियोगिता जीत ली।
गणेश जी के अनुसार उनके लिए उनके माता-पिता ही उनका पूरा ब्रह्मांड थे। जिससे शिव के दूसरे पुत्र कार्तिकेय क्रोधित हो गए और उन्होंने श्रद्धा के रूप में अपने शरीर की हड्डियां अपने पिता को और मांस अपनी माता को दे दिया और अपने देह का त्याग कर दिया।
यह हड्डियां आज की इस मंदिर में मौजूद हैं। गर्भगृह में भगवान कार्तिकेय की मूर्ति है, जो काले पत्थर से बनी है और चांदी के आभूषणों से सुशोभित है।
जिन्हें यहां आने वाले हजार भक्त पूजते हैं। माना जाता है कि यह एक प्राचीन मंदिर है, जिसका इतिहास 200 साल पुराना है।
Kartik Swami Temple मंदिर में प्रतिवर्ष जून माह में महायज्ञ होता है।
How To Reach Kartik Swami Temple
रुद्रप्रयाग के पोखरी मार्ग पर स्थित इस मंदिर तक कनकचौरी गांव से 3 किलोमीटर की ट्रैकिंग के द्वारा पहुंचा जा सकता है और मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको 80 सीढ़ियां चढ़ने होंगे।
मंदिर में रात को यात्रियों के रुकने की भी व्यवस्था की गई है यह मंदिर इतनी ऊंचाई में है कि Kartik Swami Temple जिन्हें दक्षिण भारत में कार्तिक मुरगन देवता के नाम से भी जाना जाता है।
Uttarakhand में केवल एक मात्र कार्तिकेय का मंदिर यहीं पर है। कार्तिक महीने में यहां दर्शन करने से हर तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में घंटी बांधने से इच्छा पूर्ण होती है।
By Air
वायु मार्ग से आने वाले यात्रियों के लिए, देहरादून में स्थित जॉली ग्रंट हवाई अड्डा मंदिर से 192 किमी दूर स्थित रुद्रप्रयाग का निकटतम हवाई अड्डा है। आप हवाई अड्डे से कानकचौरी तक टैक्सी/कैब किराए पर ले सकते हैं, जहाँ से मंदिर की ओर ट्रेकिंग शुरू होती है।
By Train
यदि आप रेलवे से यात्रा कर रहे हैं, तो आपको हरिद्वार जाना होगा जो मंदिर से 162 किमी दूर है।
Kartik Swami Temple के दूर से ही आपको यहां लगी अलग-अलग आकार की घंटियां दिखाई देने लगती हैं। ऐसा माना जाता है कि मंदिर में पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सफलता और समृद्धि आती है। मंदिर का समय आमतौर पर हर दिन सुबह 6:00 बजे से रात 8:00 बजे तक होता है।
Best Time To Visit Kartik Swami Temple
Kartik Swami Temple देखने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से जून के बीच है। कार्तिक पूर्णिमा के दौरान, जोकि आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर के बीच मनाई जाती है, बहुत सारे भक्त मंदिर आते हैं। आप जून में होने वाले कलश यात्रा के दौरान भी मंदिर दर्शन की योजना बना सकते हैं।
मंदिर दर्शन के लिए सर्वोत्तम समय अक्टूबर से जून तक का है। कार्तिक के पवित्र पूर्णिमा पर्व पर, जो आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर के मध्य मनाया जाता है, असंख्य भक्त मंदिर के दर्शन को आते हैं। आप जून माह में आयोजित कलश यात्रा के दौरान भी मंदिर का दर्शन कर सकते हैं।