तो चलिए दोस्तों आज हम बात करते हैं उत्तराखंड के एक मंदिर “Lakhamandal Shiv Mandir” की जो उत्तराखंड के देहरादून में से लगभग 128 किमी की दूरी पर है। यह मंदिर यमुना नदी के तट पर स्थित है।
Lakhamandal Temple भगवान शिव को समर्पित है, यहां ऐसी मान्यता है कि जो भी इस मंदिर में प्रार्थना करने आता है वह अपने सारे पापों से मुक्त हो जाता है यहां पर खुदाई करते वक्त बहुत से शिवलिंग भी प्राप्त हुए थे ।
यह मंदिर लाखामंडल गांव में स्थित है इस गांव में यह भगवान शिव का एकमात्र मंदिर है जिसकी यहां के लोगों में आस्था और मान्यता है। यह गांव जौनसार भाबर क्षेत्र के अंदर आता है।
Lakhamandal Shiv Mandir, Uttarakhand की राजधानी Dehradun से करीब 128 किलोमीटर दूर है। महादेव के लाखों शिवलिंग उपस्थित होने के कारण इस स्थान को ‘लाखामंडल शिव मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। किंवदंती है कि महाभारत काल के दौरान, दुर्योधन ने इस स्थल पर पांडवों को जलाकर उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी। पांडवों में से एक युधिष्ठिर ने अपने अज्ञातवास के दौरान यहां एक शिवलिंग की स्थापना की थी, जो आज भी वहां मौजूद है।
Lakhamandal Temple History
पहले मान्यता :- Lakhamandal Shiv Mandir के बारे कई लोगों की ऐसी मान्यता है कि लाखा अर्थात लाख और मंडल यानी लिंग। ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने इसी जगह पर कई शिवलिंग की स्थापना की थी इसके चलते इस गांव का नाम लाखामंडल पड़ा था, जिससे कि बाद में इस मंदिर की स्थापना हुई और लोगों ने इसका नाम लाखामंडल मंदिर रख दिया ।
दूसरी मान्यता :- जब महाभारत काल में युधिष्ठिर द्वारा लक्ष्य ग्रह का निर्माण किया गया था जिसमें उसने पांडवों को जलाकर मारने का षड्यंत्र रचा था। इसके उपरांत सभी पांडव अज्ञातवास में चले गए थे अपने अज्ञातवास के दौरान ही युधिष्ठिर ने इस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की थी परंतु कई लोगों का ऐसा भी मानना है कि लक्ष्य ग्रह का निर्माण जहां हुआ था वह स्थान उत्तर प्रदेश के अंदर आता है।
Lakhamandal Story
बहुत से लोगों का यह मानना है कि यहां अमृत व्यक्ति को जीवित किया जा सकता है । कई धरना तो यह भी कहती है कि मृत व्यक्ति जीवित होने के बाद भगवान शिव का नाम रहता है जिसके बाद उसे पर पवित्र जल डाला जाता है और उसके उपरांत ही वह अपने शरीर का त्याग करता है ।
What is the structure of the Lakhamandal shiv temple like?
जैसे कि अपने उत्तराखंड के अन्य मंदिरों के दर्शन किए ही होंगे ठीक उसी प्रकार लाखामंडल मंदिर की बनावट ठीक केदारनाथ के जैसी है।
मंदिर के अंदर आपको भगवान शिव पार्वती गणेश दुर्गा काल भैरव कार्तिकेय सरस्वती और हनुमान जी की मूर्तियां देखने को मिल जाएगी मंदिर के प्रांगण के अंदर ही आपको कई शिवलिंग देखने को मिलेंगे।
Lakhamandal Shiv Mandir के भीतर ही कई पैरों के निशान भी है यहां के लोगों की मान्यता है कि यह माता पार्वती के पैरों के निशान है।
Lakhamandal Pooja Timing
Lakhamandal Shiv Mandir में वैसे तो सुबह शाम पूजा अर्चना होती है परंतु शाम के समय यहां 8:00 बजे मंदिर के भीतर आरती की जाती है जिसमें गांव के सभी बच्चे और जो यात्री बाहर से आए हैं यह शामिल होते हैं इसके बाद ही मंदिर के दरवाजे बंद किए जाते हैं ।
Lakhamandal Shiv Mandir Dehradun Uttarakhand
मंदिर में प्राचीन समय की कई मूर्तियां आपको देखने को मिलेगी । यह मंदिर लगभग 12वीं से 13वीं शताब्दी के बीच बनाया गया होगा यहां आपको कई प्रकार के शिवलिंग और स्थापत्य कला देखने को मिल जाएगी जो मंदिर के प्राचीन काल से जुड़े होने को दर्शाती है।
Lakhamandal Shiv Mandir में एक विशेष शिव मंदिर है जिसमें अनेक शिवलिंग हैं। मंदिर के बाहर एक शिवलिंग है जहां आप अपना चेहरा देख सकते हैं। गांव के सभी उम्र के लोग हर दिन शाम सात बजे के बाद पूजा के लिए एक साथ आते हैं।
Creation Of Lakhamadal Mandir Dehradun
इस मंदिर का निर्माण राजा चंद्रगुप्त जो जालंधर के बेटे थे उनके द्वारा किया गया था इस पूरी बात का उल्लेख आपको इस मंदिर के बाहर एक विशाल पत्थर पर देखने को मिल जाएगा
इस शिवलिंग को महामुंडेश्वर कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि किसी मृत व्यक्ति को इस शिवलिंग के सामने रखकर पुजारी द्वारा उन पर जल छिड़का जाए, तो वे क्षण भर के लिए जीवित हो सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब कोई व्यक्ति गंगा जल का एक घूंट पीकर शिव को पुकारता है तो उसकी आत्मा शरीर छोड़ देती है।
Conclusion
आज हमने यहां पर Lakhamandal Shiv Mandir के बारे में विस्तार से जाना, तथा हम आपको बता दें कि लाखामंडल गांव Chakrata, Uttarakhand से ज्यादा दूर नहीं, करीब 40-45 किमी दूर है। इस गांव में एक मंदिर है जिसे लाखामंडल शिव मंदिर कहा जाता है।
गाँव में कुछ शानदार गुफाएँ हैं जिनके बारे में लोग सोचते हैं कि ये रहस्यमयी हैं। किंवदंती है कि बहुत समय पहले, दुर्योधन नाम के एक व्यक्ति ने लाखामंडल में पांडवों नाम के कुछ अन्य लोगों को चोट पहुंचाने की कोशिश की थी। पांडवों को लाक्षागृह नामक खतरनाक स्थान पर जाने के लिए धोखा दिया गया था, लेकिन वे चतुर थे और भागने में सफल रहे।