यहां पर उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध मंदिर Badrinath Dham के बारे में संपूर्ण जानकारी दी गई है इस लेख के माध्यम से बद्रीनाथ धाम के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
बद्रीनाथ धाम को भगवान विष्णु का धाम कहा जाता है आज भी मान्यता है कि भगवान विष्णु यहां खुद निवास करते हैं।
बद्रीनाथ धाम आप किस प्रकार जा सकते हैं कब बद्रीनाथ के कपाट खोले जाते हैं और कब से कब तक आप बद्रीनाथ में दर्शन कर सकते हैं इसके बारे में जानकारी मिलेगी।
चलिए हम Badrinath Dham के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करते हैं और बद्रीनाथ धाम की जय बोलते हुए श्री बद्रीनाथ धाम की यात्रा शुरू करते हैं –
BADRINATH DHAM UTTARAKHAND
बद्रीनाथ धाम को भगवान् विष्णु का धाम भी कहा जाता है। श्री बद्रीनाथ धाम न केवल उत्तराखंड के चार धामों में से एक है, बल्कि यह धाम भारत के चार धामों में से भी एक है। कहा जाता है कि हर के मनुष्य को आपने जीवन मे कम से कम एक बार तो भगवान बद्रीनाथ जी के दर्शन करने चाहिए। इसे हिन्दू पुराणों में बैकुण्ठ का स्थान बताया गया है, जहा भगवान विष्णु जी वास करते है।
श्री बद्रीनाथ धाम उत्तराखण्ड के चमोली ज़िले में स्थित हैं। यह मन्दिर अलकनन्दा नदी के किनारे स्थित हैं । बद्रीनाथ मंदिर लगभग 3,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
HISTORY OF BADRINATH
आदि गुरु शंकराचार्य जी ने हिन्दू धर्म को बढ़ाने के लिए, चारों दिशाओ में चार पवित्र धामों को स्थापना की थी। जिनमे से उत्तर में बद्रीनाथ धाम (उत्तराखंड), पश्चिम में श्री द्वारकाधीश (गुजरात), पूरब दिशा में श्री जगन्नाथ पूरी (ओड़िसा) और दक्षिण में श्री रामेश्वर धाम (तमिलनाडु ) स्थित हैं ।
कहा जाता है कि श्री विष्णु कि बद्रीनाथ धाम में पहले भगवान शिव का निवास था। परन्तु एक दिन जब भगवान विष्णु ध्यान करने के लिए जगह खोजने लगे तो उन्हें यह स्थान बेहद पसंद आया था। परन्तु वह जानते थे कि यह स्थान तो भगवान शिव का निवास स्थान है। तब भगवान विष्णु ने एक बालक यानि एक बच्चे का रूप धारण कर लिया, और वो बच्चे की तरह वहाँ पर रोने लगे उनकी आवाज सुन के माता पार्वती आयी और उन्हें चुप कराने लगी और अपने निवास स्थान ले आयी।
तभी उस बालक को देख कर भगवान शिव समझ गए की यह बालक कोई और बल्कि भगवान विष्णु है। तब भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा की वे उस बालक को छोड़ दे ,वो स्वतः ही वहा से चला जायेगा। परन्तु माता पार्वती से उस बालक का रोने देखा नहीं गया, और उन्हें चुप कराया और सुलाने लगी। बालक के सोते ही माता पार्वती वहाँ से चली गयी।
तब भगवान विष्णु अपने रूप मे आ गए, और शंकर जी से कहने लगे की उन्हें यह स्थान बहुत पसंद आया है, और वह अब से यही रहेंगे, आप यहाँ से श्री केदारनाथ चले जाये तभी से बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का धाम बन गया। तथा केदारनाथ धाम में भगवान भोलेनाथ निवास करने लगे।
Badrinath Nearby Places
अगर आप बद्रीनाथ जा इन् जगह का भी एक बार जरूर भमण करना। सरस्वती नदी उद्गम स्थल यह जगह बद्रीनाथ धाम से केवल 10 मिनट की दुरी पर स्थित है। यह जगह पर सरस्वती नदी का उद्गम स्थल है।
सरस्वती नदी उद्गम स्थल जाने वाले रास्ते पर गणेश जी की गुफा भी स्थित है। कहा जाता है कि गणेश जी ने महाभारत इसी गुफा में बैठकर लिखी थी। इस गुफा के पास ही वेदव्यास जी की गुफा भी है, जहा वेदव्यास जी ने महाभारत का अंतिम अध्याय भी लिखा था। जिस गुफा की शिलायें देखकर आपको प्रतीत होगा की वह बहुत सारे कागजो से मिलकर बनी है।
Badrinath Dham से कुछ दुरी पर पवित्र झरना भी है जिसका नाम वसुंधरा waterfall है, जो कि मानागावं से 5 किलोमीटर की दुरी पर है, ऐसा माना जाता है कि इस झरने का पानी सिर्फ पवित्र लोगों पर ही पड़ता है।
Short Story Behind Badrinath Dham
हिंदी पुराण के अनुसार, जब भगवान विष्णु ध्यान मे थे तब BADRINATH DHAM में बर्फ गिरने लगी , बर्फ ज्यादा होने के कारण पूरा मंदिर बर्फ से ढक गया था। तब माँ लक्ष्मी ने बद्री यानि ‘ बेर ‘ के वृक्ष का रूप धारण कर लिया था जिसके वजह से बर्फ विष्णु जी पर ना पड़के उस बेर के पेड़ पर पड़ने लगी।
BADRINATH Dham Registration
चार धाम यात्रा के लिए Registration करवाने के लिए उत्तराखंड सरकार ने एक टोल फ्री नंबर जारी किया है आप उस टोल फ्री नंबर के माध्यम से चार धाम यात्रा का रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।
उत्तराखंड सरकार के अनुसार अभी तक 1500000 से अधिक श्रद्धालु चार धाम यात्रा का Registration करवा चुके हैं – टोल फ्री नंबर 1364 (उत्तराखंड से) या 0135-1364 या 0135-3520100 पर कॉल करके पंजीकरण कराया जा सकता है।
BADRINATH Tour Plan (Days, Budget)
बद्रीनाथ धाम की यात्रा के लिए आपको कम से कम 2 दिन का समय देना चाहिए जिससे आप बहुत अच्छी तरह से बद्रीनाथ धाम के दर्शन तथा यात्रा का आनंद ले पाए।
बद्रीनाथ धाम की यात्रा के लिए आपको ₹ 3,000 से ₹ 5000 तक की धनराशि अपने पास रखनी चाहिए जो आपके यात्रा के खर्चे के लिए काम आएगी।
BADRINATH tour package
बद्रीनाथ धाम की यात्रा के लिए आप बहुत सारी travel agency के माध्यम से booking कर सकते हैं या आप खुद भी स्वयं से बद्रीनाथ धाम की यात्रा कर सकते हैं।
travel agency के माध्यम से परिवार के साथ Badrinath Dham की यात्रा की booking आप यहां से कर सकते हैं।
Conclusion
यहां पर हमने Badrinath Dham की यात्रा किस प्रकार की जा सकती है इसके बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की तथा बद्रीनाथ धाम के बारे में भी हमने बहुत कुछ जाना।
हमें उम्मीद है कि आपको यह लेख जिससे आपको बद्रीनाथ के बारे में जानकारी प्राप्त हुई पसंद आया होगा।
FAQs (Badrinath Dham)
बद्रीनाथ धाम का इतिहास क्या है?
तभी उस बालक को देख कर भगवान शिव समझ गए की यह बालक कोई और बल्कि भगवान विष्णु है। तब भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा की वे उस बालक को छोड़ दे ,वो स्वतः ही वहा से चला जायेगा। परन्तु माता पार्वती से उस बालक का रोने देखा नहीं गया, और उन्हें चुप कराया और सुलाने लगी। बालक के सोते ही माता पार्वती वहाँ से चली गयी।
तब भगवान विष्णु अपने रूप मे आ गए, और शंकर जी से कहने लगे की उन्हें यह स्थान बहुत पसंद आया है, और वह अब से यही रहेंगे, आप यहाँ से श्री केदारनाथ चले जाये तभी से बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का धाम बन गया। तथा केदारनाथ धाम में भगवान भोलेनाथ निवास करने लगे।
बद्रीनाथ धाम की क्या विशेषता है?
बद्रीनाथ धाम को भगवान् विष्णु का धाम भी कहा जाता है। श्री बद्रीनाथ धाम न केवल उत्तराखंड के चार धामों में से एक है, बल्कि यह धाम भारत के चार धामों में से भी एक है। कहा जाता है कि हर के मनुष्य को आपने जीवन मे कम से कम एक बार तो भगवान बद्रीनाथ जी के दर्शन करने चाहिए। इसे हिन्दू पुराणों में बैकुण्ठ का स्थान बताया गया है, जहा भगवान विष्णु जी वास करते है।
श्री बद्रीनाथ धाम कहा है?
श्री बद्रीनाथ धाम उत्तराखण्ड के चमोली ज़िले में स्थित हैं। यह मन्दिर अलकनन्दा नदी के किनारे स्थित हैं । बद्रीनाथ मंदिर लगभग 3,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
बद्रीनाथ धाम क्यों प्रसिद्ध है?
बद्रीनाथ के बारे में कहा जाता है कि यहां पहले भगवान शिव का निवास हुआ करता था लेकिन बाद में भगवान विष्णु ने इस स्थान को भगवान शिव से मांग लिया था, श्री बद्रीनाथ धाम दो पर्वतों के बीच बसा है इन्हें नर नारायण पर्वत कहा जाता है, कहा जाता है कि यहां भगवान विष्णु के अंश नर और नारायण ने तपस्या की थी।