अगर आप उत्तराखंड में आए तो Roopkund Trek जाना ना भूलें। इसको पूरा करने के लिए लगभग 6 से 8 दिन का समय लगता ही है व इसकी ऊंचाई की बात करें तो वह लगभग समंदर से 14882 फुट ऊंचाई पर स्थित है यहां का दृश्य बहुत ही सुंदर व मन को छूने वाला है परंतु इसका difficulty level बहुत ही ज्यादा है। Roopkund Trek Uttarakhand को पूरा करने के बाद आपको लगेगा की यहां पर आना आपका सार्थक हुआ।
अगर आप एक Advanture lover हैं तो यहां पर आप जरूर जाएं। Roopkund पर आपका experrience बहुत ही अच्छा होगा और आप यहां पर फिर से आना चाहेंगे।
Roopkund Lake – The Lake Of Skeletons
Roopkund Lake Uttarakhand राज्य के चमोली जिले में स्थित है यह एक ‘Him-Lake’ है। यह झील अधिक ऊंचाई होने की वजह से treking के लिए भी मशहूर है। यह उत्तराखंड के गढ़वाल में trekking के लिए सबसे अच्छे स्थलों में से एक है। Rupkund Lake मानव कंकालों के लिए प्रसिद्ध है यहां करीब 500 से अधिक मानव कंकाल पाए गए हैं । यह स्थान हिमालय पर से लगभग 5029 मी की ऊंचाई पर है । यहां भारत से ही नहीं परंतु कई अन्य देशों से भी लोग treking के लिए आते हैं। इस झील को हस्यमयी झीलके नाम से भी जाना जाता है। यह त्रिशूल पर्वत की गोद में स्थित है।
Roopkund Lake Trek Uttarakhand में आपको 6 से 8 दिन तक का समय लग सकता हैं। इस trek में लगभग 60 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा शामिल है। यहां तक पहुंचाने के लिए आपकी शुरुआत देवाल ब्लॉक के कुलिंग गांव से होगी। कुलिंग से दीदना गांव, वेदनी बुग्याल, पातर नचौ़णिया और बगुवावासा होते हुए Roopkund पहुंचा जाता है।
Roopkund में एक ऐसी झील है जो कि अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। चारों तरफ बर्फ की सफेद चादर आपको इस trek में दिखाई देगी। इसकी खूबसूरती के साथ ही यहां पर पहुंचकर कई लोगों को इस Lake से अक्सर डर का एहसास होता है, क्योंकि यह झील कंकालों से भरी हुई है। Roopkund Lake में इन कंकालों के होने के वजह से इस Lake को ‘कंकाल की झील’ (Lake of Skeletons) भी कहा जाता है।
History Of Roopkund Lake
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवी पार्वती और भगवान शिव राक्षसों का वध करने के बाद कैलाश जा रहे थे, तब देवी पार्वती खुद को पवित्र करना चाहती थीं। इस पर भगवान शिव ने इसी स्थान पर अपने त्रिशूल की मदद से एक कुंड (झील) बनाया ताकि माँ पार्वती वहाँ पर स्नान कर सकें। झील में नहाते समय, माँ पार्वती ने अपनी सुंदर छवि झील में देखी और उससे मोहित हो गईं। इसलिए इस झील का नाम Roopkund पड़ा।
इस कथा के साथ साथ ही Roopkund Lake Uttarakhand से जुडी एक और कथा हैं। इस कथा के अनुसार, कन्नौज के राजा जसरधवल ने देवी नंदा देवी को नाराज कर दिया था। राजा अपनी गर्भवती पत्नी, कई नर्तकों, संगीतकारों और सेवकों के साथ नंदा देवी के मंदिर की यात्रा पर गए थे। राजा तथा उनके काफिले ने देवी नंदा के पवित्र स्थल की शांति भंग कर दी थी।
इसके बाद रानी बालंपा ने एक नजदीकी गुफा में बच्चे को जन्म दिया, जिसे एक निश्चित अवधि के लिए अपवित्र माना जाता था। इन घटनाओं से देवी नंदा देवी क्रोधित हो गईं और उन्होंने अपने क्रोध को भयंकर तूफान के रूप में प्रकट किया। ऐसा माना जाता है कि टेनिस गेंद के आकार के ओले सभी मौजूद लोगों के सिर पर गिरे, जिससे उनकी अचानक मृत्यु हो गई।
हिमालय की ऊंचाइयों में स्थित Roopkund Lake Uttarakhand हमेशा से ही खोजकर्ताओं और श्रद्धालुओं के लिए एक रहस्यपूर्ण और आकर्षण का केंद्र रही है।
Story Of Skeletons on Roopkund Lake Uttarakhand
अगर बात करें यहां पर मिलने वाले कंकालो की तो वर्ष 1942 में नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र के अंतर्गत एच. के. माधवन द्वारा इस lake पर कंकालो को खोजा गया था। परंतु कई लोगों का ऐसा मानना है कि 19वीं सदी में ही इन हड्डियों की प्राप्ति की खोज का पता लगा लिया गया था।
What Expert said about the Roopkund Lake?
कई विशेषज्ञ और भू वैज्ञानिक यह बताते हैं कि यह सभी हड्डियां जिन लोगों की है, उन लोगों की मौत या तो भूस्खलन भारी बर्फबारी से हुई होगी या तो कोई बड़ी महामारी से हुई होगी। परंतु आज भी इस बात के पीछे का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिल पाया है।
कई लोगों का यह भी मानना है कि पौराणिक समय में इस स्थान पर युद्ध हुआ था। जिसके कारण आज इस स्थान पर कंकाल पाए जाते हैं। Roopkund Lake Uttarakhand के समीप न केवल आपको इंसानों की हड्डियां देखने को मिलेगी साथ ही साथ घोड़े वह कई अन्य जानवरों की कंकाल भी दिख सकते हैं।
यह झील पूरे वर्ष में ज्यादातर समय जमी ही रहती है और मौसम के हिसाब से Roopkund Lake Uttarakhand का आकार बढ़ता तो कभी घटा रहता है जो लोग यहां trekking कर चुके हैं उनका ऐसा मानना है कि जब भी यह झील की बर्फ पिघल जाती है तो इस झील के अंदर मौजूद मानव कंकाल दिखाई देते हैं ।और कई बार तो लोग इसे देखकर डर भी चाहते हैं । कई लोगों का ऐसा मानना है कि उन्होंने न केवल इस स्थान पर कंकाल देखे हैं अपितु उन्होंने इंसानी अंग भी देखे हुए हैं ।
Best Time To visit Roopkund Lake Uttarakhand
अगर बात की जाए Roopkund Lake Uttarakhand पर आने का तो यहाँ पर आने का सबसे अच्छा महीना May-June और September-October के बीच का माना जाता है। इन महीनों में आप यहां treking के लिए आ सकते हैं। अगर आपको बर्फबारी देखना पसंद है तो May की शुरुआत में यहां कम बर्फ गिरती है, जिससे आप यहां आसानी से trek कर सकते हैं।
Roopkund Lake Uttarakhand में July और August के महीने में जाने से आपको बचना चाहिए क्योंकि इस स्थान पर उन महीनों में बहुत अधिक बारिश होती है। September से October में यहां का मौसम काफी अच्छा हो जाता है परंतु October के बाद यहां पर ठंड अधिक बढ़ जाती है जिससे आपके यहां पर Trek को करना आपको avoid ही करना चाहिए।
How To Reach Roopkund Lake Uttarakhand
Roopkund Lake Uttarakhand तक पहुंचने के लिए आपके पास 3 options हैं। आप इन तीनों में से कोई भी मार्ग select करके आ सकते हैं।
- By Road: अगर बात करें सड़क मार्ग की तो यहां पहुंचने के लिए आप Delhi से सीधा Chamoli district के देबल गांव जाना होगा और फिर इस स्थान से आपको 3 दिन का trek करना होगा। Delhi से देबल गांव तक की सड़क यात्रा करीब 477 किलोमीटर की होगी और इसको पूरा करने के लिए आपको 13 घंटे का समय लग जाएगा।
- By Train: अगर आप Roopkund Lake Uttarakhand आने के लिए आप ट्रेन देख रहे है तो इस झील से निकटतम Railway station Rishikesh है और वहां से आपको Roopkund के लिए कई local बसें या फिर टैक्सी की सुविधा मिल जाएगी।
- By Air: अगर आप यहाँ by air आना चाहते हैं तो Roopkund से सबसे करीब airport जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है। जहां से आप देबल गांव के लिए बस या किसी अन्य टैक्सी ले सकते हैं और वहां से treking शुरू कर सकते हैं ।
Conclusion
वैसे तो Uttarakhand में trekking के लिए बहुत से स्थान हैं। सभी की अपनी अपनी सुंदरता और विशेषताएं हैं। Rookund Lake Uttarakhand का नजारा मन को शांति और सुकून का अहसास कराता है। यही वजह है कि पुरे भारत में से हर साल लोग यहाँ पर जाना पसंद करते हैं, जहां पहाड़ियों के बीच झील हैं।
What is the difficulty level of Roopkund?
Roopkund Lake Trek Uttarakhand में आपको 6 से 8 दिन तक का समय लग सकता हैं। इस trek में लगभग 60 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा शामिल है। इस trek का difficulty level बहुत ही अधिक हैं।
What is the climate of Roopkund Lake Uttarakhand?
Roopkund trek करने का सबसे अच्छा समय May-June और September-October के बीच का माना जाता है। इन महीनों में आप यहां treking के लिए आ सकते हैं। अगर आपको बर्फबारी देखना पसंद है तो May की शुरुआत में यहां कम बर्फ गिरती है, जिससे आप यहां आसानी से trek कर सकते हैं।
Who discovered Roopkund Lake Uttarakhand?
वर्ष 1942 में नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र के अंतर्गत H.K Madhwal द्वारा इस lake पर कंकालो को खोजा गया था। परंतु कई लोगों का ऐसा मानना है कि 19वीं सदी में ही इन हड्डियों की प्राप्ति की खोज का पता लगा लिया गया था।
Why Roopkund Lake is called The Skeleton Lake?
Roopkund Lake Uttarakhand की खूबसूरती के साथ ही यहां पर पहुंचकर कई लोगों को इस Lake से अक्सर डर का एहसास होता है, क्योंकि यह झील कंकालों से भरी हुई है। Roopkund Lake में इन कंकालों के होने के वजह से इस Lake को ‘कंकाल की झील’ (Lake of Skeletons) भी कहा जाता है।