Garjiya devi Mandir, जो Uttarakhand के रामनगर में स्थित है। देवभूमि उत्तराखंड जिसे देवी-देवताओं का निवास स्थान कहा जाता है, उसी Uttarakhand के सुंदर वादियों में स्थित Garjiya devi का पावन मंदिर Nanital जिले के Ramnagar (तहसील) मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर सुंदरखाल गांव में यह मंदिर स्थित है।
देवी का यह मंदिर जिसे गर्जिया माता नाम से जाना जाता है जो कि एक छोटे से टीले पर बना हुआ है। माता का यह मंदिर Corbett National Park से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर है।
History Of Garjiya Devi Mandir
ऐसा माना जाता है हजारों साल पहले एक मिट्टी का बड़ा सा टीला कोसी नदी के साथ बहता हुआ आता है और बटुक भैरव उस टीले में विराजमान गर्जिया माता को देखकर उन्हें रोकते हुए कहते हैं बहन ठहरो, और यहां पर मेरे साथ निवास करो बटुक भैरव द्वारा रोका गया यह टीला हजारों साल पहले जैसा था आज भी ज्यों का त्यों वैसा ही खड़ा है।
GARJIYA Mandir का नाम Garjiya (गर्जिया) कैसे पड़ा
Garjiya devi mandir में, हिमालयराज की पुत्री गर्जिया देवी निवास करती है जिन्हें मां पार्वती का एक दूसरा रूप माना जाता है। गर्जिया देवी का मंदिर Ramnagar से महज 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जहां Ramnagar नैनीताल जिले के अंदर आता है वहीं नैनीताल से Ramnagar की दूरी लगभग 65 किलोमीटर हैं।
नवरात्रि , गंगा दशहरा, बसंत पंचमी और शिवरात्रि के समय माता के दर्शन के लिए हजारों भक्तों की भीड़ लगी रहती है। इतिहासकारों का कहना है कि गर्जिया माता का मंदिर वर्ष 1900 में आज के समय जैसा नहीं था बल्कि यह जगह घने जंगलों अथवा यहां शेर, भालू गश्त लगाते थे और वर्ष 1950 में श्री महादेव गिरी महाराज जी जब यहां पर पहुंचे तो उनके एक शिष्य ने यहां पर एक झोपड़ी बनाई थी। जिसमें उनके शिष्य ने मां Garjiya devi की उपासना की थी।
महादेव गिरि बाबा एक नाग बाबा और एक तांत्रिक बाबा थे। जिन्हें कई सिद्धियां प्राप्त थी और इन्हीं बाबा ने Rajasthan से भैरव, गणेश और तीन महा देवियों की मूर्तियों को लाकर यहां पर स्थापित किया था। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जब नाथ बाबा मूर्ति स्थापित कर रहे थे तो उसी समय एक शेर ने अत्यंत तेज गर्जना की जिस वजह से बाबा ने इसे एक संकेत मान कर इस देवी का नाम गर्जिया देवी रख दिया।
मूर्ति स्थापित होने के बाद पुरानी कुटिया को हटाकर पक्की कुटिया बनाई गई और टीले को काटकर सीढ़ियां बनाई गई, लेकिन माता को यह स्वीकार नहीं हुआ। वर्ष 1960 में कोसी नदी ने भयंकर रूप लिया और वह प्राचीन मूर्तियों को अपने साथ बहा कर ले गई।
उसके बाद वर्ष 1967 में पूर्णचंद्र नाम के एक व्यक्ति को माता ने स्वप्न में दर्शन देकर बताया की मूर्तियां कहां पर है और पूर्ण चंद्र ने मूर्तियों को खोदकर निकाला और और उन मूर्तियों को फिर से स्थापित किया सन् 1970 में गर्जिया मंदिर लगभग अपने अस्तित्व में आ गया था और 1977 में लोगों के द्वारा मंदिर में आने जाने की कठिनाई को मद्देनजर रखते हुए Garjiya पुल का निर्माण किया गया।
पुरातत्व विभाग के अनुसार माने तो यहां पर स्थापित मूर्तियां 800 साल से 900 साल पुरानी है और इस टीले की ऊंचाई लगभग 100 फुट है।
गिरिजा देवी के नीचे अन्य मंदिर भी स्थित हैं जिनमें एक भगवान शंकर जी की गुफा भी है जिसके अंदर एक शिवलिंग बना है। इसके अलावा भैरव मंदिर के साथ अन्य देवी देवताओं के मंदिर भी हैं।
माना जाता है कि भैरव देवता के दर्शन के बाद ही गिरिजा माता अपना आशीर्वाद देती है क्योंकि Garjiya devi को बटुक भैरव देवता ने ही रुका था। कहा जाता है गिरिजा माता के दर्शन मात्र से ही हर विघ्न बाधाएं दूर हो जाती है।
नवविवाहित जोड़ा यहां पर आकर प्रसाद व घंटियां भी चढ़ाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा में गंगा स्नान के बाद भक्त लोग माता के दर्शन करते हैं। वही शिवरात्रि के समय यहां मंदिर कमेटी के द्वारा मेला भी लगाया जाता है।
गर्जिया देवी मंदिर आप कहीं से भी आ सकते हैं यहां बस या ट्रेन से रामनगर आ सकते हैं और वहां से प्राइवेट गाड़ी करके या बस द्वारा या अपना प्राइवेट वाहन लेकर भी Garjiya devi mandir पहुंच सकते हैं।
जय माता दी…
conclusion
इस blog के माध्यम से हमने Garjiya devi mandir जो कि Uttarakhand के नैनीताल ज़िले के Ramnagar छेत्र में स्थित हैं उसके बारे में जाना तथा mandir के इतिहास के बारे में जाना।
प्रसिद्ध गर्जिया देवी मंदिर किस नदी तट पर स्थित है?
Garjiya devi mandir, कोसी नदी के तट पर स्थित है।
Nanital से Ramnagar की दूरी कितनी हैं ?
Nanital से Ramnagar की दूरी लगभग 65 किलोमीटर हैं।
Garjiya devi mandir टीले के ऊंचाई कितनी हैं ?
टीले की ऊंचाई लगभग 100 फुट है।
Corbett National Park से Garjiya devi mandir की दुरी कितनी हैं ?
माता का यह मंदिर Corbett National Park से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर है।
Garjiya Mandir का नाम Garjiya (गर्जिया) कैसे पड़ा ?
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जब नाथ बाबा मूर्ति स्थापित कर रहे थे तो उसी समय एक शेर ने अत्यंत तेज गर्जना की जिस वजह से बाबा ने इसे एक संकेत मान कर इस देवी का नाम गर्जिया देवी रख दिया।